बालाजी कुटिया मंदिर में भगवान परशुराम की पूर्णाकृति प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा
स्व. राजकुमार पुरोहित की स्मृति में उनकी पत्नी और बेटे ने की प्रतिमा स्थापित

* मंदिरों को दीप और आकर्षक रोशनाई से सजाया गया
* श्याम भजन संध्या में उमडे सैकडों भक्तगण
परतवाडा /दि.16– स्थानीय बालाजी कुटिया मंदिर संस्थान में राजराजेश्वर 1008 भगवान परशुरामजी की पूर्णाकृति प्रतिमा की झाण प्रतिष्ठा बड़े ही श्रद्धा एवं भक्ति भाव से परिपूर्ण वातावरण में की गई यह प्रतिमा स्व. राजकुमार पुरोहित (हलवाई) की स्मृति में उनकी धर्मपेली श्रीमती सुप्रेता देवी पुरोहित तथा पुत्र चेतन महाराज और शुभम महाराज द्वारा स्थापित की गई. हालांकि यह कार्यक्रम अक्षय तृतीया को नियोजित था, लेकिन देश पर हुए आतंकी हमले की वजह से इस आयोजन की तारीख को आगे बढ़ा दिया गया था.
हिंदू मान्यताओं के अनुसार, भगवान परशुराम भगवान विष्णु के छठे अवतार माने जाते हैं. उनका जन्म माता रेणुका और ऋषि जमदग्नि के घर प्रदोष काल में हुआ था. उन्हें चिरंजीवी माना जाता है, यानी वे आज भी पृथ्वी पर जीवित हैं. इस वर्ष परशुराम जयंती 29 अप्रैल को सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग में मनाई गई. इस दिन ॐ रां रां परशुहस्ताय नमः और परशुराम गायत्री मंत्र जैसे मंत्रों का जप करके भगवान का आशीवांद प्राप्त करने की परंपरा रही है. प्रतिमा स्थापना की पूर्व संध्या से ही बालाजी कुटिया मंदिर परिसर में भक्तिमय वातावरण था. मंदिर को दीपों और विद्युत सजावट से जगमगा दिया गया. शुभम कैटरिंग इवेंट्स द्वारा आयोजित श्याम भजन संध्या में आदर्श नंदवंशी, कार्तिक नंदवंशी, मुन्ना नंदवंशी और उनके साथियों ने अपनी संगीतमय प्रस्तुति से उपस्थित भक्तों को भाव-विभोर कर दिया.
भजनों में सांबरे की महफिल को सांवरा सजाता है…. खाटू गया मैं पहली बार… और तुम इतना जो मुस्कुरा रहे हो… जैसे भजनों ने माहौल को भक्तिरस से सराबोर कर दिया. श्याम साउंड सिस्टम की उत्तम व्यवस्था और वैभव बहरूपी की कीबोर्ड पर जादू भरी प्रस्तुति ने संध्या को अविस्मरणीय बना दिया. प्रतिमा स्थापना की पूजा पंडित अशोक जोशी की अगुवाई में विधिपूर्वक की गई, जिसमें शुभम और चेतन ने भाग लिया. प्रतिमा एकदम सजीव प्रतीत होती है और शिल्पकार की कारीगरी की खूब सराहना हो रही है. स्व. राजकुमार पुरोहित की स्मृति में यह भव्य आयोजन परिवार की श्रद्धा और सेवा भावना को दर्शाता है.
गौरतलब है कि जुड़वा शहर में परशुराम जी की कोई प्रतिमा नहीं थी. यह पहला अवसर है जब सकल ब्राहाण समाज को अपने आराध्य देव की प्रतिमा सुलभ हुई है. शुभम और चेतन पुरोहित ने इस अभाव को श्रद्धा, संकल्प और बिना किसी चंदा सहयोग के समाज में मिसाल कायम की है. कार्यक्रम के अंत में आयोजित भंडारे में 56 भोग समान व्यंजनों से हजारों भक्तों की भोजन प्रसाद कराया गया. श्रीमती संगीता देवी ने समारोह में उपस्थित सभी अतिथियों और श्रद्धालुओं का ससम्मान स्वागत किया. इस आयोजन में प्रदीप जोशी (नंदगांव खंडेश्वर), विजय कुमार शर्मा (अमरावती), मुन्ना जोशी, आदित्य साखरे, गोपाल पांडे, रामकृष्ण जोशी, प्रमोद जैन, विनायकराव पटारे, ओम शर्मा, संतोष उपाध्याय, अशोक उपाध्याय, किसन शर्मा, लालू शर्मा, दीपेश नंदवंशी सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे.