महाराष्ट्र

सवा करोड़ के पैकेज को छोड कर प्रांशुक कांठेड ने ली जैन मुनि की दीक्षा

अमेरिका में डेटा सायंटिस्ट के रूप में थे कार्यरत, मुमुक्षू प्रियांश और पवन ने भी लिया निर्णय

देवास/ दि.२९-युवा उम्र में ही प्रांशुक कांठेड को जैन मुनि की दीक्षा लेने की इच्छा जागी थी. अमेरिका में डेटा सायंटिस्ट के रूप मे काम करनेवाले और वार्षिक सवा करोड़ रुपए का पैकेज रहनेवाले प्रांशुक कांठेड नामक २८ वर्षीय युवक ने नौकरी छोडकर जैन मुनि की दीक्षा ली है. डेढ़ साल पहले ही उनके मन में जैन मुनि के रूप दीक्षा लेने की इच्छा जागी थी.अमेरिका के सवा करोड़ के पैकेज का की नौकरी छोडकर वे अपने गांव देवास लौटे. सोमवार को उन्होंने जैन मुनि होने की दीक्षा ली.प्रांशुक के साथ उनके मामा के बेटे थांडला निवासी मुमुक्षू प्रियांश लोढा (एमबीए) और रतलाम के मुमुक्षू पवन कासवान दीक्षित ने भी इसी मार्ग पर चलने का निर्णय लिया है. सोमवार को सुबह हाटपिपल्या मंडी के प्रांगण में तीनों ने भी उमेश मुनि से जैन संत होने की दीक्षा ली. इस समारोह में हजारों लोग उपस्थित थे.

महाभिनिष्क्रमण यात्रा
मुख्य दीक्षा समारोह में तीनों मुमुक्षू बंध्ाुओं की महाभिनिष्क्रमण यात्रा निकाली गई. यह यात्रा कृषि उपज बाजार परिसर में दीक्षा महोत्सव पंडाल में पहुंची, जहां प्रवर्तक जिनेंद्र मुनिजी ने हजारों लोगों की उपस्थिति में तीनों को दीक्षा दी.
* पारिवारिक पृष्ठभूमि
देवास में हाटपिपल्या निवासी प्रांशुक के पिता राकेश कांठेड व्यापारी है. अब उनका पूरा परिवार इंदूर में रहता है. प्रांशुक को अमेरिका में २०१७ में डेटा सायंटिस्ट की नौकरी मिली. अमेरिका में भी वे गुरुभगवंत के ग्रंथ का पठन करते थे. इंटरनेट पर से उनका प्रवचन सूनते रहे. नौकरी में मन नहीं लगने से जनवरी २०२१ में वे अपने गांव लौटे. प्रांशुक की माता और छोटा भाई भी इंदूर में रहता है.

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