महाराष्ट्र

वेंटिलेटर पर थी गर्भवती महिला फिर भी दिया तंदुरूस्त बच्चे को जन्म

फेफड़ों में 100 प्रतिशत तक फ़ैल चुका था कोरोना संक्रमण

पुणे/दि.२२ – बारामती से एक चौंकाने वाली लेकिन उम्मीद जगाने वाली खबर सामने आई है. यहां एक कोरोना संक्रमित महिला ने नवजात को जन्म दिया है जो कि जिसकी रिपोर्ट कोविड नेगेटिव आई है. चौंकाने वाली बात ये है कि इस महिला के फेफड़े 100त्न संक्रमण का शिकार हो चुके थे और डॉक्टर्स ने उम्मीद छोड़ दी थी. महिला ने जब बच्चे को जन्म दिया तो वो वेंटिलेटर पर थी. बारामती के मेहता अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने यह चमत्कार कर दिखाया.
मिली जानकारी के मुताबिक 6 अप्रैल को एक 28 वर्षीय गर्भवती महिला अस्पताल में दाखिल हुई. यह महिला बारामती जिले के ही देऊलगाव राजे नाम के गांव के एक किसान परिवार की है. इनकी एक तीन साल की बच्ची भी है. महिला का पूरा परिवार कोरोना संक्रमित हो गया था. यह महिला जब अस्पताल में भर्ती हुई तो उन्हें कोविड की वजह से तेज बुखार, खांसी और सांस लेने में दिक्कत हो रही थी. ऑक्सीजन का लेवल 90 से 92 प्रतिशत था.
अस्पताल में भर्ती होने के बाद दो-तीन दिनों में ही इस महिला का ऑक्सीजन लेवल और गिरता गया. इलाज के दौरान उन्हें ऑक्सीजन की ज़रूरत महसूस होने लगी. 10 अप्रैल को इनकी हालत बेहद खराब हो गई. इन्हें वेंटिलेटर पर रखने की ज़रूरत पड़ी. महिला का एचआरसीटी स्कोर 25 होने से की वजह से हालत बेहद नाज़ुक हो गई. ऐसी हालत में इस मां को प्रसूती का दर्द उठ गया. पहली बच्ची भी सिजेरियन हुई थी इस बार भी सिजर ऑपरेशन की ज़रूरत थी. वेंटिलेटर पर होते हुए ही डॉक्टरों ने सर्जरी शुरू की. देखते ही देखते महिला ने सुव्यवस्थित तरीके से एक सुंदर से शिशु को जन्म दिया.

  • अद्भुत है! शिशु ना सिर्फ तंदुरुस्त है, पूरी तरह कोरोनामुक्त है

चमत्कार की बात तो देखिए. ना सिर्फ शिशु तंदुरुस्त पैदा हुआ बल्कि कोरोनामुक्त पैदा हुआ. शिशु का कोरोना टेस्ट हुआ तो शिशु कोरोना निगेटिव पाया गया. फिलहाल बच्चे को आईसीयू में रखा गया है. इस घटना के बाद भी शिशु को जन्म देने वाली मां की हालत नाज़ुक बनी रही. वह अगले 13 दिनों तक वेंटिलेटर पर आईसीयू में ही रही. इस बीच डॉक्टर उसका मनोबल बढ़ाते रहे. वेंटिलेटर पर ही इस मां की गोद में डॉक्टर और नर्स मिलकर शिशु को रख दिया करते थे.

  • मातृत्व की शक्ति ने जीने की इच्छाशक्ति बढ़ाई

इन सब बातों की वजह से इस मां में भी जीने की इच्छा प्रबल होती गई. आखिरकार 45 दिनों के उपचार के बाद महिला कोरोनामुक्त और स्वस्थ हो गई. शिशु भी मां की गोद में मस्त और तंदुरुस्त है. दिन को छू लेने वाली यह कहानी, कहानी नहीं हकीक़त है. अच्छे लोग आस-पास हों, जीने का मन में विश्वास हो तो मुश्किल से मुश्किल चीज़ें भी आसान ही हो जाती हैं, इस मां ने बता दिया कि आखिर क्यों मां से नहीं बढ़ कर कोई रिश्ता, मां ही सबसे महान कही जाती है.

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