महाराष्ट्र

विवाद में निजी शिकायतकर्ता की हाजिरी अनावश्यक

सरकारी जमीन अतिक्रमण

* याचिका को गुणवत्ताहीन ठहराते हुए किया खारिज
* हाईकोर्ट ने दिया फैसला
नागपुर/दि.8-सरकारी जमीन पर अतिक्रमण का विषय सरकार और अतिक्रमणधारक के बीच का विवाद होता है. इसलिए इस विवाद पर कार्यवाही में निजी शिकायतकर्ता की उपस्थिति की आवश्यकता नहीं है, यह महत्वपूर्ण फैसला मुंबई उच्च न्यायालय के नागपुर खंडपीठ के न्यायमूर्ति अनिल पानसरे दिया है.
गोंदिया के हेमांग वडेरा की संपत्ति से सटकर सरकारी जमीन पर शेख लतीफ ने अतिक्रमण किया, ऐसा विवाद है. वडेरा के पिता ने इस संदर्भ में 30 जनवरी 2023 को जिलाधिकारी से शिकायत की थी और इस अतिक्रमण के कारण उनकी संपत्ति का उपयोग करने दिक्कत निर्माण हो रही है, ऐसा आरोप किया था. दौरान पिता की मृत्यु होने से वडेरा ने इस फैसले के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. हाई कोर्ट ने भी रिकॉर्ड के विविध मुद्दों को ध्यान में लेकर उपरोक्त के मुताबिक फैसला दिया और इस याचिका को गुणवत्ताहीन ठहराते हुए खारिज कर दिया. शेख लतीफ की ओर से एड.महेश धात्रक ने कामकाज देखा.

मामले की जांच की गई थी
-जिलाधिकारी ने इस मामले की जांच करने के बाद विवादग्रस्त अतिक्रमण हटाने का आदेश जारी किया. इसके खिलाफ शेख लतीफ ने वरिष्ठ स्तर दिवाणी न्यायालय में दावा किया है.
-इस दावे में केवल जिलाधिकारी, उपविभागीय अधिकारी और तहसीलदार को प्रतिवादी किया गया. इसलिए वडेरा के पिता ने दिवाणी न्यायालय में आवेदन पेश कर इस दावे में प्रतिवादी करवाने की मांग की थी.
-दिवाणी न्यायालय ने उसे इस दावे में आवश्यक तथा योग्य प्रतिवादी नहीं होने की बात कहकर 3 जुलाई 2023 को संबंधित अर्जी खारिज कर दी.

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