सभी महानगरपालिकाओं में संपत्ति कर रद्द करने के लिए दबाव
मुंबई की तरह ही लाभ दिये जाने की मांग
मुंबई/दि.3- शिवसेना की सत्ता रहनेवाली मुंबई महानगर पालिका में 500 चौरस फीट तक घरों का संपत्ति कर रद्द करने की घोषणा मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे द्वारा की गई है. जिसके बाद सभी महानगरपालिकाओं में इस कर को रद्द किये जाने की मांग जोर पकड रही है. विशेष तौर पर 10 महानगरपालिकाओं के आगामी चुनाव के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक दल संपत्ति कर में राहत दिलाने हेतु एडी-चोटी का जोर लगा रहे है.
उल्लेखनीय है कि, कोविड संक्रमण काल के दौरान लगाये गये लॉकडाउन के चलते कई लोगों की नौकरियां गई तथा कामकाज सहित व्यवसाय ठप्प हो गया था. जिसके चलते सर्वसामान्य लोगों की आय के स्त्रोत घट गये, ऐसे में न्यूनतम संपत्ति कर को रद्द करने की मांग सभी स्तर से हो रही है. राज्य सरकार द्वारा लिये गये निर्णय का फायदा मुंबई मनपा क्षेत्र अंतर्गत करीब 16 लाख घरों को होगा. जिससे मुंबई मनपा को 462 करोड रूपये का कम राजस्व मिलेगा. हालांकि सरकार के इस ुफैसले पर तंज कसते हुए राज्य के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, वर्ष 2017 के दौरान चुनाव के समय किया गया वादा पूर्ण होने के लिए वर्ष 2022 के चुनावी वर्ष का इंतजार करना पडा और सरकार द्वारा केवल मुंबई मनपा के आगामी चुनाव को ध्यान में रखते हुए यह फैसला लिया गया है. जबकि सरकार ने यह फैसला पूरे राज्य की जनता के लिए लेना चाहिए था.
* राजनीतिक दलों ने भी कमर कसी
राज्य सरकार द्वारा मुंबई मनपा क्षेत्र में 500 चौरस फीट तक के घरों का संपत्ति कर रद्द किये जाने के बाद अब अमरावती, अकोला, नागपुर, चंद्रपुर, औरंगाबाद, परभणी, लातूर, नांदेड, जलगांव, अहमदनगर, धुलिया, पुणे, कोल्हापुर, सांगली व सोलापुर मनपा क्षेत्र में भी संपत्ति कर को रद्द किये जाने की मांग जोर पकड रही है और इसके लिए राजनीतिक दलों द्वारा अपने-अपने स्तर पर प्रयास तेज किये गये है.
* नासिक में भी तैयारी
नासिक महानगरपालिका में सत्ताधारी भाजपा द्वारा संपत्ति कर को रद्द करने की हलचलें तेज कर दी गई है. यहां पर महापौर सतीश कुलकर्णी द्वारा मनपा आयुक्त को पत्र जारी करते हुए आमसभा में इसे लेेकर प्रस्ताव पेश करने का निर्देश दिया गया है.
* ठाणे का फैसला सरकार के समक्ष
ठाणे में भी 500 चौरसफीट क्षेत्रफलवाले घरों का संपत्ति कर रद्द करने को लेकर नवंबर 2021 में आमसभा में प्रस्ताव पारित किया गया. जिसे दिसंबर माह के दौरान सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया, जो इस समय सरकार के समक्ष विचाराधीन है.