महाराष्ट्र

आसमान छू रहे कागज के दाम ः दरवृद्धि-किल्लत का संकट

महंगी नोटबुक-पुस्तकों का सर्वसामान्यों को लग सकता है फटका

मुंबई/दि.3- राज्य की स्कूलें शुरु होने में कुछ दिनों की कालावधि ही शेष रहते शालेय साहित्य में नोटबुक व पुस्तकों की कीमतें सर्वसामान्य के लिए अधिक मानी जा रही है. स्कूल शुरु होने से पूर्व यह दाम और बढ़ने की संभावना होने से इसका फटका करोड़ों पालकों को बैठने की संभावना व्यक्त की जा रही है.
कोरोना के बाद देश में कागज कंपनियों से बड़े पैमाने पर उत्पादन कम हुआ है. उन्होंने कागज के दाम भी बढ़ाये जाने के कारण नोट बुक्स की कीमतें भी बढ़ने की बात कही जा रही है. यह वृद्धि गत तीन महीने में 45 प्रतिशत तक पहुंचने की जानकारी मुंबई के अब्दुल रहेमान स्ट्रीट के शालेय साहित्य बिक्री करने वाले व्यापारी ने दी.
राज्य में नोटबुक एवं अन्य कामकाज के लिए वेस्टकोस्ट, एनपीएल, बल्लारपुर पेपर एवं सेंच्युरी पेपर मिल के माध्यम से कॉपी व पुस्तकों के लिए कागज की आपूर्ति की जाती है. दो महीने पूर्व कागज की कामत 55 हजार रुपए टन थी वह अब प्रति टन 85 हजार रुपए पर पहुंची है. पेपर मिल से एक हजार टन कागज की मांग की गई है. लेकिन 300 टन भी कागज उपलब्ध न होने से बाजार में नोटबुकों की किल्लत निर्माण होने की संभावना महाराष्ट्र बुक मॅन्युफॅक्चर संगठना की अध्यक्ष अमृता शहा ने व्यक्त की है.

डेढ़ महीने पूर्व 480 से 550 रुपए प्रति दर्जन मिलने वाले नामांकित कंपनियों के नोट बुक्स की कीमत अब 650 से 700 रुपए तक पहुंची है. ए-फोर, लाँग बुक के दाम भी 300 से 700 रुपए तक पहुंचे हैं. चिल्लर बाजार में बढ़ाये गए दाम से इन वस्तुओं की बिक्री हो रही है.
– महेन्द्र जैन, नोटबुक्स के होलसेल विक्रेता

सीमेंट, स्टील के दाम बढ़ने पर सरकार का ध्यानाकर्षित होता है. लेकिन प्रत्येक विद्यार्थी के लिए आवश्यक नोटबुक्स-पुस्तकों के पेपर की कीमतें बड़े पैमाने पर बढ़ने के बावजूद इस ओर सरकार एवं अन्य किसी भी यंत्रणा का ध्यान क्यों नहीं जाता?
– अमृता शहा, अध्यक्ष, महाराष्ट्र बुक मॅन्युफेक्चर संगठना

Related Articles

Back to top button