मुंबई/दि.19 – हड़ताल कायम रहते एसटी के निजीकरण की ओर प्रयास किए जाने के संकेत है. गत कुछ वर्षों से नुकसान में गई एसटी को नफे में लाने के लिए एसटी का निजीकरण का पर्याय सामने आने के साथ ही इस बाबत अभ्यास करने के लिए केपीएमजी नामक निजी संस्था का सलाहकार के रुप में चयन किया गया है. परिवहन मंत्री व एसटी महामंडल के अध्यक्ष अनिल परब एवं एसटी के वरिष्ठ अधिकारियों की गुरुवार को आयोजित बैठक में यह निर्णय लिया गया.
कोरोना संसर्ग व निर्बंध के कारण गत वर्ष से यात्रियों ने एसटी से सफर नहीं किया, जिसके चलते कर्मचारियों का वेतन समय पर देना मंडल के लिए कठिन था. महामंडल ने त्यौहारों के दिनों में आय बढ़ेगी ऐसी उम्मीद की थी, लेकिन ऐन दिवाली में विविध मांगों के लिए कर्मचारियों ने हड़ताल की. इस कारण महामंडल को यात्री आय पर निराश होना पड़ा. गत चार वर्षों में कम हुई यात्री संख्या, कोरोना संसर्ग का फटका, हड़ताल आदि के कारण एसटी की आर्थिक स्थिति और कम हुई है. एसटी की वार्षिक यात्री आय सात से आठ हजार करोड़ रुपए तक है. मात्र, इस तुलना में खर्च अधिक होने से एसटी की आर्थिक स्थिति कम होते गई. इस पार्श्वभूमि पर एसटी को नुकसान से नफे में लाने के लिए महामंडल को पर्याय खोजने के लिए अब निजीकरण का विचार किया जा रहा है. ओइस बाबत अभ्यास करने के लिए केपीएमजी इस निजी संस्था की सलाहकार के रुप में नियुक्ति की गई है. राज्य महामंडल के ओआगार व अन्य जगह है. इसका उचित तरीके से किस तरह इस्तेमाल किया जा सकेगा, काम की तुलना मेंं एसटी का मनुष्य बल अधिक क्यों होने बाबत कौन सा उपाय, वह कम करना उचित है क्या, किरायेतत्व पर बस का पर्याय होना निजी कंपनियों की ओर से ठेका पद्धति से कर्मचारी लेना या नहीं आदि बाबत यह संस्था अभ्यास करेगी.
एसटी का नुकसान बढ़ रहा है. एसटी को नुकसान से नफे में लाने के लिए महामंडल प्रयासरत है. इस पर अभ्यास करने का काम एक निजी संस्था को सौंपा गया है.
– शेखर चन्ने, व्यवस्थापकीय संचालक, एसटी महामंडल
आय की अपेक्षा खर्च अधिक
– एसटी को 2019-20 में 7 हजार 870 करोड़ 99 लाख रुपए आय मिली. मात्र खर्च 8 हजार 790 करोड़ 20 लाख रुपए था.
– वर्ष 2020-21 में कोरोना के कारण एसटी की हालत डगमगाई. इस वर्ष में एसटी की आय 2 हजार 988 करोड़ 1 लाख रुपए तो खर्च 6 हजार 449 करोड़ रुपए 23 लाख रुपए हुआ.