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वर्ष भर में 79 करोड लीटर क्षमता बढी
औरंगाबाद/दि.22 – राज्य के 125 शक्कर कारखाने में से इथेनॉल उत्पादन का प्रमाण 101 करोड रूपये तक पहुंचाने तक की क्षमता विकसित हो गई है. आगामी समय में शक्कर कारखाने से जैव सीएनजी उत्पादन के लिए प्रयास शुरू किया गया है.
साधारण आमतौर पर एक लाख टन गन्ने की गलाई से चार हजार टन सीएनजी निर्माण की जा सकती है. गन्ने की गलाई से मिश्रित पानी तथा जैव पदार्थ से बनाई गई सीएनजी प्रकल्प को तैयार करनेे की योजना बनाते हुए इस पर अभ्यास किया जा रहा है. इसके लिए हरियाणा के रोहतक में जैव पदार्थ से उत्पादन किया जानेवाला सीएनजी प्रकल्प को शक्कर संघ के प्रतिनिधि भेट देंगे. आगामी समय में शक्कर के पानी से तथा घासयुक्त पानी से होनेवाले इस प्रकल्प को राष्ट्रवादी कांग्रेस के ज्येष्ठ नेता शरद पवार यह प्रोत्साहन देने से अगले वर्ष में इथेनॉल के समान इस क्षेत्र में भी महाराष्ट्र के कदम आगे है. ऐसा दावा राष्ट्रीय शक्कर संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगावकर ने किया. शक्कर की कीमत और गन्ने के भाव का जोड न मिलने से शक्कर कारखाने की आर्थिक स्थिति धुमिल हो गई है. उस पर उपाय के रूप में 30 लाख टन शक्कर कम हो और उससे इथेनॉल और जैव सीएनजी बनाने का प्रकल्प हो, ऐसा प्रयास शुरू है. शक्कर के इस सीजन में इथेनॉल निर्माण कार्य भी तीव्र गति से किया जा रहा है. राज्य में 125 कारखाने में से 200.24 करोड लीटर इतना इथेनॉल निर्माण की क्षमता थी. उसमें अब 79.20 करोड लीटर की वृध्दि हो गई है. अब राज्य के शक्कर कारखाने 360.89 करोड इथेनॉल बनाते है.
शक्कर के रस से शक्कर न बनाकर इथेनॉल बनानेवाले कारखाने में से 13.31 घास में से शक्कर की मात्रा अधिक होनेवाली घास से 54.54 तथा सी हेव्ही यानी उससे कम शर्कराशं रहनेवाली घास से यह इथेनॉल बनाने को गति दी गई है. आगामी समय में जैव सीएनजी प्रकल्प बढाने पर जोर दिया गया है.