फिर लॉकडाउन रोकने हाईकोर्ट में जनहित याचिका
कोर्ट ने सुनवाई के लिए एक लाख जमा करने का निर्देश दिया
मुंबई /दि.३ – राज्य सरकार को दोबारा लॉकडाउन लागू करने अथवा इस बढाने से रोकने का निर्देश देने की मांग को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है. यह याचिका एक संगठन के अध्यक्ष हर्षल मिरासी ने दायर की है. याचिका में दावा किया है कि, महामारी अधिनियम- 1897 संविधान के खिलाफ है. यह मौलिक अधिकारों का हनन है. इसलिए इसे रद्द किया जाए. याचिका में दावा किया गया है कि, मीडिया कोरोना के मरीज व मौत के आंकडों को बढाचढाकर पेश कर रहा है. अन्य कारणों से होनेवाली मौत को भी कोरोना के चलते होनेवाली मौत के आंकडे दर्शाया जा रहा है. जिससे लोगों में दहशत पैदा की जा रही है. याचिका में कहा गया है कि, कोरोना को लेकर मीडिया में आनेवाली खबरे लोगों को गुमराह कर रही है. आखिर यह कैसी बीमारी है जिसकी दवा उपलब्ध नहीं फिर भी इस बीमारी से ग्रसित लोगों को ठीक किया जा रहा है.
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ के समक्ष सुनवाई के दौरान सरकारी वकील पूर्णिमा कंथारिया ने याचिका पर सवाल उठाए. उन्होंने कहा कि, याचिककर्ता को एक बार जेजे व केईएम अस्पताल का दौरा करना चाहिए. जहां उसे कोरोना के मरीजों की स्थिति का अंदाजा लगेगा. खंडपीठ ने कहा कि हमें यह याचिका आधारहीन दिख रही है. जिसकी सुनवाई से अदालत का समय नष्ट होगा. फिर भी याचिकाकर्ता यदि चाहते हैं कि, अदालत इस याचिका को सुने तो पहले वे कोर्ट में एक लाख रुपए जमा करें. इसके बाद याचिका पर सुनवाई की जाएगी.