महाराष्ट्र में जनता का रुझान भाजपा के विरोध में
पार्टी में बगावत का उद्धव ठाकरे और शरद पवार को फायदा?
मुंबई/दि.08– 2019 के विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में बडी राजनीतिक उथल-पुथल देखने मिली. एक दूसरे के कट्टर विरोधी रहे ठाकरे-पवार एकजुट हुए. लेकिन ढाई साल में उद्धव ठाकरे के हाथ से शिवसेना और शरद पवार के हाथ से एनसीपी गई है. राज्य के इस खेल के पीछे भाजपा का हाथ रहने की बात कही जाती है, इस कारण लोगों में नाराजी रहने का वादा विपक्ष लगातार कर रहा है. ऐसे में एक सर्वेक्षण में यही चित्र सामने आया है.
राज्य में यदी आज चुनाव हुए तो भाजपा-शिवसेना-एनसीपी गठबंधन को बडा झटका लगने के आसार है. राज्य में महाविकास आघाडी को 48 में से 26 सीटें मिलने का अनुमान है, लेकिन इसमें कांगे्रस को 12 और उद्धव ठाकरे-शरद पवार को कुल 14 सीटें मिलने का अनुमान दर्शाया गया है. 2022 में एकनाथ शिंदे ने अपनी भूमिका अलग लेते हुए उद्धव ठाकरे के विरोध में बगावत की. उन्हें पार्टी के 40 अधिक विधायकों ने सहयोग दिया. पार्टी के 18 में से 13 सांसद भी एकनाथ शिंदे के साथ गए. चुनाव आयोग ने भी शिवसेना नाम और चिन्ह एकनाथ शिंदे गुट को दिया. पश्चात राष्ट्रवादी बाबत भी यही हुआ. शरद पवार के भतीजे अजीत पवार ने पार्टी के दिग्गज विधायकों के साथ अलग भूमिका ली और सत्ता में शामिल हुए. शरद पवार के विश्वासु माने जाने वाले अधिकांश नेता और पार्टी के 40 से अधिक विधायक अजीत पवार के साथ सत्ता में गए. पश्चात एनसीपी किसकी यह प्रश्न निर्माण हुआ? लेकिन हाल ही में चुनाव आयोग ने एनसीपी शरद पवार गुट की रहने का निर्णय दिया और पार्टी का चिन्ह ‘घडी’ भी उन्हें सौंप दिया. इस घटनाक्रम में शरद पवार और उद्धव ठाकरे के हाथ से पार्टी चले जाने से उन्हें सहानुभूति मिलेगी, ऐसी चर्चा राजनीतिक क्षेत्र में है.