अमरावतीमहाराष्ट्र

पूर्णा नगर की पहचान बने शुध्द मावे के पेढे

रोज 500 किलो से अधिक माल की हाथोहाथ विक्री

* दूध उत्पादक भी केवल पेढे के लिए देते संपूर्ण उत्पादन
पूर्णानगर/ दि. 21– शहर से बमुश्किल तीस किमी दूरी पर स्थित पूर्णानगर ग्राम की पहचान पेढे के गांव के रूप में हो गई है. यहां शुध्द मावा से बनाए जा रहे पेढे हाथोहाथ खप रहे हैं. रोज 500 किलो से अधिक माल की विक्री हो जाने का अंदाज व्यापारियों ने व्यक्त किया है. यहां पशुपालक करीब 2 हजार लीटर दूध का उत्पादन रोज करते हैं. वह संपूर्ण पेढे बनाने वाले कारीगरों को ही दिया जाता है. मिलावट रहित दूध की विक्री 70-75 रूपए प्रति लीटर होने से दूध उत्पादक भी संतोष व्यक्त करते हैं.
* 400 रूपए प्रति किलो
परतवाडा मार्ग पर पूर्णानगर स्थित है. शहर से नजदीक और सीधी सडक होने से यहां आवाजाही भरपूर है. उसी प्रकार दोनों तरफ से मिठाई के शौकीन यहां से गुजरने पर अपना वाहन रोककर पेढे की खरीदी करते हैं. 350- 400 रूपए प्रति किलो शुध्द मावे के पेढे सभी पसंद करते हैं. रोज ताजा माल बनाए जाने से भी यहां माल हाथोहाथ बिक जाता है.
* 150 लीटर दूध, 20 किलो शक्कर
पेढे विक्रेताओं ने बताया कि वे खास ग्राहकों के लिए ही शहर के किसी भी प्रतिष्ठान को माल सप्लाई नहीं करते. यहां जगह पर ही पेढे की विक्री हो जाने का दावा कर एक विक्रेता ने बताया कि मेहमानों को देने के लिए पेढे के आधा किलो और एक किलो के पैकेट ऑर्डर पर तैयार किए जाते हैं. उन्होंने बताया कि 150 लीटर दूध में 20 किलो चीनी मिलाई जाती है. रोज 75 किलो लकडी का इंधन लगता है. पेढे विक्रेताओं का मासिक उत्पन्न 20-22 लाख हो रहा है. रोजगार भी मिला है.

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