महाराष्ट्र

विधायकों की प्रश्न संख्या घटी

प्रज्ञा फाऊंडेशन की रिपोर्ट; विधि मंडल के प्रश्न भी 74% कम

मुंबई/दि.17– जनता को गुमराह करने वाली समस्याओं की ओर ध्यान खींचकर वह सरकार की ओर से हल करने का सबसे प्रभावी माध्यम यानि विधि मंडल अधिवेशन. लेकिन विधिमंडल में विधायकों द्वारा पूछे जाने वाले प्रश्नों की संख्या करीबन 74 प्रतिशत से कम दिखाई दी है. विशेष यह कि कोरोना संकट के समय भी स्वास्थ्य क्षेत्र के संदर्भ में प्रश्न 62 प्रतिशत से कम होने की जानकारी प्रज्ञा फाऊंडेशन की रिपोर्ट से सामने आयी है.
राज्य के विविध भागों का प्रतिनिधित्व करने वाले विधायकों के विधि मंडल के कामकाज का विश्लेषण करने वाली रिपोर्ट प्रज्ञा फाऊंडेशन द्वारा प्रसिद्ध की गई. जिसके अनुसार सन 2009 से सन 2014 इस कालावधि की सरकार के पहले वर्ष में विधायकों द्वारा 7955 प्रश्न पूछे गए. लेकिन चालू विधानसभा के पहले वर्ष में सिर्फ 2056 प्रश्न ही उपस्थित हुए. इसके साथ ही राज्य विधिमंडल के कामकाज के दिनों में भी कमी होने की बात रिपोर्ट से सामने आयी है.
चुनाव से पूर्व शिवसेना, भारतीय जनता पार्टी, कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस ने अपने जाहीरनामे में राज्य कारभार में सुधार करने का आश्वासन दिया था. दूसरी ओर सन 2019 के शीतकालीन अधिवेशन में और सन 2021 के अर्थसंकल्पीय अधिवेशन में भाजपा, राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस पार्टी के एक भी विधायक ने प्रश्न उपस्थित नहीं किया. सिर्फ शिवसेना के तीन विधायकों ने इस बाबत प्रश्न उपस्थित करने की बात रिपोर्ट में कही गई. 12 वें व 13 वें विधानसभा के कार्यकाल के प्रथम वर्ष के दो विधिमंडल सत्र 47 व 50 दिनों तक चले. सन 2019 के शीतकालीन अधिवेशन से सन 2021 का अर्थसंकल्पीय अधिवेशन ओइस कालावधि के सत्र के दिन सन 2014 से 2016 इस कालावधि के अर्थसंकल्पीय सत्र के कार्यकाल की तुलना में 65 प्रतिशत से कम थे. ऐसा रिपोर्ट में दर्ज किया गया है. समाधान की एक बात यह है कि इस बार मौनी विधायकों की संख्या शून्य है.

Related Articles

Back to top button