मुंबई/दि.15- युनिवर्सिटी ग्रेंट्स कमिशन अर्थात विद्यापीठ अनुदान आयोग (यूजीसी) ने उच्च शिक्षण अभ्यासक्रम में भारतीय ज्ञान प्रणाली का समावेश करने के लिए मार्गदर्शक तत्वों का मसौदा जारी किया है. इस मार्गदर्शक तत्व के अनुसार यूजीसी ने देश के सभी विद्यापीठ एवं शिक्षण संस्थाओं को बताया है कि पदव्युत्तर एवं पदवी पूर्ण अभ्यासक्रम में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों को आयकेएस (इंडियन नॉलेज सिस्टिम) अभ्यासक्रम लेने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए. यह अभ्यासक्रम अनिवार्य क्रेडिट के पांच प्रतिशत होगा.
यूजीसी के मार्गदर्शक तत्वों में यह भी कहा गया है कि जो विद्यार्थी मेडीसीन के यूूजी प्रोग्राम में नाम दर्ज करेंगे, वे पहले वर्ष में भारतीय वैद्यक पद्धति का क्रेडिट कोर्स ले सकते हैं. जिसके चलते उन्हें आयुर्वेद, योगा एवं निसर्गोपचार, युनानी सिद्ध एवं होमिओपैथी की मूलभूत जानकारी मिलेगी. यह विद्याशाखा अब भी भारतीय लोकसंख्या में से बड़े भाग के स्वास्थ्य की जरुरतें पूर्ण करने वाली औषधियों की परंपरा जारी रखे है. दूसरे वर्ष में जाने के बाद विद्यार्थी आयुर्वेद, सिद्ध, योगा आदि समान किसी भी भारतीय वैद्यक पद्धति का थिअरी एवं प्रैक्टिस का दो-सेमिस्टर का क्रेडिट कोर्स कर सकता है.
मार्गदर्शक तत्वों में कुछ मॉडल अभ्यासक्रमों का भी उल्लेख किया गया है. यह अभ्यासक्रम विद्यापीठ के यूजी व पीजी अभ्यासक्र में समाविष्ट किये जा सकते हैं. उदाहरणार्थ भारतीय संस्कृति के मूलभूत साहित्य का इसमें समावेश किया जा सकता है. इस साहित्य में वैदिक कॉपर्स, रामायण, महाभारत एवं उनके महत्वपूर्ण प्रादेशिक आवृत्ति, पुराण, वेद का अभ्यास होगा. भारतीय तत्वज्ञान के मूलभूत ग्रंथ, जैन एवं बौद्ध, भारतीय धार्मिक संप्रदायके मूलभूत ग्रंथ, वैदिक काल से अलग-अलग प्रदेश की भक्ति परंपरा तक का सभी साहित्य विद्यार्थियों को अभ्यास के लिए उपलब्ध करवाये जाएंगे.
शिक्षम, व्याकरण, छंद, निरुक्त, ज्योतिष एवं कल्प इन 6 वेदांगों सहित आयुर्वेद, स्थापत्य, नाट्यशास्त्र, धर्मशास्त्र, अर्थशास्त्र आदि समान भारतीय ज्ञान प्रणाली का न्य प्रवाहों के विद्यार्थियों को अभ्यास करना पड़ेगा.