महाराष्ट्र

मुश्किल दौर से गुजर रही रापनि

राज्य सरकार से 2 हजार करोड़ रुपए की मांग

मुंबई/दि.२६कोरोना पाबंदियों के चलते राज्य परिवहन निगम के आय स्त्रोत पर बीते वर्ष काफी असर हुआ है. जिसके चलते रापनि की आर्थिक स्थिति काफी बिकट हो गई है. लिहाजा राज्य सरकार से 2 हजार करोड़ रुपयों की मांग की गई है. जिससे कर्मचारियों का वेतन, ईंधन खर्च सहित अनेक दैनिक खर्च दिये जा सकेंगे.
यहां बता दें कि मार्च 2020 में राज्य में कोरोना का प्रमाण बढ़ने लगा. जिसका असर रापनि की यातायात सेवा पर भी हुआ. महामारी के भय से अनेक यात्रियों ने बसों से सफर करना बंद कर दिया. इसी तरह संचारबंदी के चलते केवल मुंबई महानगर में अत्यावश्यक सेवा और बाहरी राज्यों में जाने वाले कामगारों की यातायात सेवा जारी रखी थी. लेकिन इसके बाद संचारबंदी मेंं ढील मिलने के बाद रापनि की बस सेवा भी धीरे-धीरे पटरी पर आने लगी थी. लेकिन पूरी आय डूब जाने से एक लाख कर्मचारियों का वेतन व दैनिक खर्च का भुगतान करना भी कठिन हो गया है. कर्मचारियों को दो-दो महीनों तक वेतन नहीं मिल रहा था. आखिरकार राज्य सरकार की ओर से दी गई आर्थिक मदद से कर्मचारियों को वेतन मिलने की शुरुआत हुई. रापनि को वर्ष 2020-21 के लिये राज्य सरकार ने 1 हजार करोड़ रुपयों की मदद की. जिससे रापनि को राहत मिली है. बीते वर्ष सितंबर-अक्तूबर से कोरोना महामारी का प्रकोप कम होने के बाद संचारबंदी में ढील होते ही फिर से बसों में यात्रियों की संख्या व रापनि का आयस्त्रोत बढ़ने लगा. लेकिन फरवरी 2021 से फिर से कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़ने के बाद से इसका असर रापनि की बस सेवा पर पड़ा है. कोरोना का भय व पाबंदियों से रापनि की बसों से सफर करने वाले यात्रियों की संंख्या पर असर हुआ है. रापनि की बसों से बीते 15 फरवरी को 33 लाख यात्रियों ने सफर किया था. जिनसे 16 करोड़ रुपए का उत्पादन मिला था. वहीं मार्च माह के मध्य तक यात्रियों की संख्या सीधे 22 लाख तक पहुंचते ही रोजाना आय का स्त्रोत 10 करोड़ रुपए तक पहुंच गया. जिसके बाद यह ग्राफ और भी कम होते गया.
कोरोना के पूर्व दौर में बसों से रोजाना 58 लाख यात्री सफर कर रहे थे और रोजाना 22 करोड़ रुपए का उत्पादन मिल रहा था. लेकिन इस लक्ष्य तक अब एसटी नहीं पहुंच पा रही है. फिर से लगाये गये संचारबंदी से रापनि पर आर्थिक संकट मंडराया है. इससे बाहर निकलने के लिये रापनि व्दारा राज्य सरकार से 2 हजार करोड़ रुपए की मांग की गई है. इस बारे में प्रबंधकीय संचालक शेखर चन्ने ने बताया कि राज्य सरकार से आर्थिक मदद की डिमांड की गई है.

  • अतिरिक्त बोझ

रापनि के पास हाल की घड़ी में 15 हजार से अधिक बसेस है. रापनि को प्रति माह 240 करोड़ रुपए का ईंधन लगता है. संचारबंदी में कुछ मात्रा में बसेस दौड़ रही है. फिर भी ईंधन दरवृध्दि का बोझ भी रापनि को सहन करना पड़ रहा है. वहीं प्रति माह कर्मचारियों को वेतन के लिये 290 करोड़ रुपए रापनि को लग रहे हैं. इसके अलावा हर माह 50 से 60 करोड़ रुपए चिल्लर खर्च है. इसलिए कम से कम सालभर का प्रावधान हो सके. इसके लिये 2 हजार करोड़ रुपयों की मदद रापनि ने राज्य सरकार से मांगी है.

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