राज्य में आरटीपीसीआर की बजाय रैपीड एंटीजन टेस्ट को प्राथमिकता
मुंबई/दि.1 – इस समय महाराष्ट्र में करीब 55 फीसदी कोविड टेस्ट रैपीड एंटीजन टेस्ट पध्दति के जरिये की जा रही है. वहीं इस दौरान सबसे विश्वसनीय तरीके से रिपोर्ट देनेवाली आरटीपीसीआर टेस्ट का प्रमाण 45 फीसदी से घट गया है. उल्लेखनीय है कि आयसीएमआर द्वारा आरटी-पीसीआर टेस्ट को टेस्टिंग का गोल्ड स्टैण्डर्ड कहा है. किंतु इसके बावजूद महाराष्ट्र के कई जिलों में कोविड संक्रमित मरीजों की जांच हेतु करीब 90 प्रतिशत तक रैपीड एंटीजन टेस्ट को प्राथमिकता दी जाती है. जबकि रैपीड एंटीजन टेस्ट के जरिये फॉल्स निगेटीव यानी गलत निगेटीव रिपोर्ट आने का प्रमाण काफी अधिक रहता है. इसके बावजूद महाराष्ट्र में रैपीड एंटीजन टेस्ट को अधिक प्राधान्य दिया जाता है. ऐसे में विगत कई दिनों से महाराष्ट्र में कोविड संक्रमित मरीजों की संख्या घटने के पीछे रैपीड एंटीजन टेस्ट को भी मुख्य वजह बताया जा रहा है.
बता दें कि, मई माह के प्रारंभ में कोविड संक्रमण की दूसरी लहर के दौरान आयसीएमआर द्वारा कोविड टेस्टिंग के संदर्भ में गाईडलाईन जारी करते हुए कहा गया था कि, कोविड संक्रमित मरीजों की जल्द से जल्द पहचान करने हेतु राज्यों ने अधिक से अधिक रैपीड एंटीजन टेस्ट करनी चाहिए और एंटीजन टेस्ट में निगेटीव पाये गये व्यक्ति की आरटीपीसीआर टेस्ट भी करवानी चाहिए. किंतु राज्य में जहां एक ओर रैपीड एंटीजन टेस्ट में वृध्दी हुई, वहीं दूसरी ओर आरटीपीसीआर टेस्ट का प्रमाण घट गया. बीते रविवार को राज्य में कुल 2.51 लाख लोगों की कोविड टेस्ट की गई. जिसमें से 1.38 लाख रैपीड एंटीजन तथा 1.13 लाख आरटीपीसीआर टेस्टिंग हुई. आरटीपीसीआर टेस्ट कम करते हुए रैपीड एंटिजन टेस्ट का प्रमाण बढाये जाने की वजह से राज्य में कोविड संक्रमण का खतरा बढा हुआ है. इसे लेकर सरकारी अधिकारियों को पूछने पर उन्होंने बताया कि, राज्य में आरटीपीसीआर टेस्ट से पॉजीटिविटी रेट 10 फीसदी है. वहीं रैपीड एंटीजन टेस्ट से पॉजीटिविटी रेट 6 फीसदी है. इन दोनों में केवल 4 फीसदी का फर्क है.