
* दस्तावेज अधूरे होने के कारण मुआवजा देने से इनकार कर दिया गया
यवतमाल/दि.12-भारतीय बीमा विनियामक और विकास प्राधिकरण ने एक परिपत्र जारी किया है कि बीमा दावों को तकनीकी आधार पर खारिज नहीं किया जाना चाहिए. इसमें बीमा कंपनियों को स्पष्ट निर्देश दिया गया है. इसके बाद भी द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी तकनीकी कारण को आगे बढाती रही. आयोग ने यह कहते हुए बीमाधारक को मुआवजा देने का आदेश दिया है कि मुआवजे से इनकार करके अनुचित व्यापार प्रथाओं का पालन किया गया है.
यहां द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी की मेडिक्लेम पॉलिसी मलेक बाबू हुसैन गिलानी के लिए तैयार की गई थी. मलेक गिलानी की हालत बिगडने पर उनका इलाज किया गया. इस पर आए खर्च की रकम पाने के लिए उन्होंने बीमा कंपनी में दावा दायर किया था. उन्हें इस आधार पर मुआवजा देने से इनकार कर दिया गया कि पूरे दस्तावेज जमा नहीं किए गए थे, दावा करने में छह दिन की देरी हुई थी. आयोग द्वारा न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, मुंबई और यवतमाल को तुरंत मुआवजा देने का आदेश दिया गया है.
* ग्राहक आयोग से गुहार
बीमा क्लेम के लिए कंपनी गिलानी ने मांगी गई रसीदें जमा कर दीं. इसके बाद भी लाभ से वंचित होने पर उन्होंने 9 मई 2017 को यवतमाल जिला ग्राहक आयोग से संपर्क किया. आयोग के अध्यक्ष डॉ. रवींद्र उल्हास मराठे, सदस्य अमृता वैद्य की मौजूदगी में मामले की सुनवाई हुई. 7 अप्रैल 2025 यानी आठ साल बाद मामले का फैसला आया है.
* सेवा प्रदान करने में विफलता
-आयोग ने अपने फैसले में कहा कि द न्यू इंडिया एश्योरेंस कंपनी के मुंबई और यवतमाल कार्यालयों ने तकनीकी बातों पर मलेक गिलानी को मुआवजे से इनकार करके और ग्राहक सेवा प्रदान करने में विफल रहकर अनुचित व्यापार प्रथाओं में लिप्त रहे.
-दावे के मुताबिक, आयोग ने आदेश दिया है कि कंपनी इलाज के लिए 24 हजार 950 रुपये, शिकायत के लिए 5,000 रुपये और शारीरिक और मानसिक पीडा के लिए 15,000 रुपये का भुगतान करे.