महाराष्ट्र

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महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक का 25 हजार करोड घोटाले का मामला

मुंबई/दि.28 – महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक के 25 हजार करोड रुपए के गैरव्यवहार के मामले में कुछ सामंजस्य न होने का दावा करते हुए यह प्रकरण बंद करने के लिए आर्थिक अपराध अन्वेषण विभाग ने पेश किये क्लोजर रिपोर्ट अहवाल पर आक्षेप विरोध करने वाले अंमलबजावणी संचालनाल के (ईडी) आवेदन विशेष अदालत ने नामंजूर किया. सत्र न्यायालय के विशेष न्यायाधीश ए.सी. दागा ने ईडी की मांग रद्द करते हुए पुलिस का अहवाल स्वीकार करना या नहीं, इस संदर्भ का अंतिम निर्णय मूल तक्रारकर्ता की बात सुनकर लिया जाएगा, ऐसा स्पष्ट किया. न्यायालय ने दिये निर्णय के कारण इस मामले की जांच करने का ईडी का मार्ग कुछ समय के लिए बंद हुआ है.
महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक संचालक मंडल तथा अध्यक्षों ने सूत गिरणी व शक्कर कारखाने के लिए करोडों रुपयोें की राशि कर्ज के रुप में वितरण की, लेकिन यह कर्ज रिटन नहीं होने के कारण बैंक का बडा नुकसान हुआ और बैंक का दिवाला निकल गया. तकरीबन 25 हजार करोड रुपए का घोटाला हुआ. इस के लिए तत्कालीन संचालक मंडल जिम्मेदार है, ऐसा आरोप करते हुए इस मामले की जांच करना चाहिए, ऐसी विनती करने वाली याचिका सुरींदर अरोरा की ओर से एड.सतीश तलेकर ने उच्च न्यायालय में दाखिल की. इस मामले की दखल लेते हुए उच्च न्यायालय ने नाबार्ड तथा पुलिस अहवाल देखते हुए प्रथम दर्शनी अपराध दर्ज कर चौकशी होना बेहत जरुरी है, ऐसा स्पष्ट मत व्यक्त कर शिकायत की गई. बैंक के सभी पूर्व संचालकों के खिलाफ अपराध दर्ज करने के आदेश अगस्त 2019 में दिये थे.
इसके अनुसार मुंबई पुलिस आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) इस मामले में अपराध दर्ज किया, लेकिन जांच के अंत में किसी भी प्रकार का अपराध नहीं होने का निष्कर्ष नोंद करने वाला अहवाल पुलिस ने न्यायालय में पेश किया और यह मामला रफा दफा करने की विनंती की. पुलिस के इस अहवाल पर ही अरोरा ने आक्षेप लिया है. कैग का अहवाल, नाबार्ड जांच अहवाल, जोशी, नायर और एसोशिएट्स का ऑडिट रिपोर्ट, दफा 83 अन्वये जांच अहवाल तथा एमसीएस कानून की धारा भादंवि की धारा 88 अन्वये दायर किया गया आरोपपत्र, एफआईआर में दर्ज किया आरोप सिध्द हो रहा है, ऐसा दावा करते हुए राजकीय नेता इस मामले में सम्मिलित रहने से राजकीय दबा होने के कारण क्लोटर रिपोर्ट पेश करने का आरोप करते हुए इस प्रकरण की जांच सीबीआई को सौंपी जानी चाहिए, ऐसी विनंती की गई. इतना ही नहीं तो ईडी ने भी मुंबई पुलिस आर्थिक अपराध शाखा ने पेश किए अंतिम अहवाल को विरोध जताते हुए याचिका दायर की है. इस गैर व्यवहार में दखलपात्र अपराध घटीत होने का प्रत्यक्षदर्शी दिखाई देनेे की जांच होना जरुरी है, ऐसा दावा करते हुए हस्तक्षेप आवेदन दर्ज किया. पुलिस ने दायर किये अहवाल को यदि न्यायालय ने स्वीकार किया तो इस मामले की आगे की जांच हमें नहीं करते आयेगी, ऐसा दावा किया. इस याचिका पर विशेष न्यायालय के न्यायाधीश ए.सी.दागा के सामने सुनवाई हुई तब अरोरा ने पुलिस का अहवाल नामंजूर करने की मांग करते हुए ईडी की भूमिका को अनुमति दर्शाई तथा पुलिस का अहवाल मंजूर करने से इस मामले की समांतर जांच करने वाले ईडी को काम बंद करना पडेगा और जनहित के लिए यह उचित न होने का युक्तिवाद किया. इसके लिए ईडी को जांच करने की संधी देने के लिए मुंबई पुलिस का अहवाल नामंजूर करने की मांग की.

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