महाराष्ट्र

संख्या बल अनुसार मंत्री पदों का आग्रह

मंत्री पद के लिए इच्छूकों की तौबा भीड, एक-एक जिले से तीन-तीन दावेदार

* नई सरकार में मंत्री पद को लेकर प्रचंड घमासान की संभावना
* मंत्री मंडल में सीएम के अलावा 42 मंत्रियों का रह सकता है समावेश
मुंबई/दि.25– विधानसभा चुनाव पश्चात महायुति के किसी एक पार्टी अथवा तीनों पार्टियों के मिलाकर एक-एक जिले से इतने दिग्गतविधायक चुनकर आये है कि, संबंधित जिले को मंत्री पद देते समय किसका चयन किया जाये. इस सवाल का जवाब ढुंढना महायुति के तीनों घटक दलों के नेताओं के सामने काफी चुनौतीपूर्ण है. क्योंकि मंत्री पद को लेकर जबर्दस्त घमासान होने की पूरी संभावना है. वहीं भाजपा द्वारा इस बात को लेकर आग्रह किया जा सकता है कि, पक्षीय बलाबल यानि संख्याबल के अनुसार तीनों घटक दलों में मंत्री पद बांटे जाये.
उल्लेखनीय है कि, 5 व 7 टर्म वाले 2-2 विधायक भी किसी एक जिले से चुनकर आने के भी कुछ उदाहरण है. इसके अलावा भाजपा के पास कुछ वरिष्ठ विधायक भी है. ऐसे जिलों में शिंदे सेना व अजीत पवार गुट के तगडे विधायक भी मंत्री पद के लिए पूरी तरह से तैयार बैठे है. जिसके चलते इनमें से मंत्री पद किसे दिया जाये. यह अपने आप में काफी बडी समस्या है. ज्ञात रहे कि, राज्य कैबिनेट में मुख्यमंत्री सहित मंडियों की कुल संख्या 43 से अधिक नहीं रहती है. जिसके चलते मुख्यमंत्री के अलावा कुल 42 मंत्री रहेंगे.

* दो या तीन हो सकते है डेप्यूटी सीएम
ज्ञात रहे कि, इससे पहले कांग्रेस व राकांपा आघाडी के साथ ही महाविकास आघाडी की सरकार के दौरान राज्य कैबिनेट में उपमुख्यमंत्री का एक पद हुआ करता था. वहीं महायुति के तहत तीन दलों वाली सरकार के अस्तित्व में आने पर एक मुख्यमंत्री सहित दो उपमुख्यमंत्री नियुक्त किये गये. माना जा रहा है कि, महायुति को स्पष्ट बहुमत मिलने के चलते नये सरकार में भी मुख्यमंत्री पद के साथ दो उपमुख्यमंत्री पद तय किये जाएंगे. साथ ही साथ एक संभवना यह भी बन रही है कि, मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश की तर्ज पर महाराष्ट्र में भी उपमुख्यमंत्री के 3 पद अस्तित्व में लाये जा सकते है. जिसके तहत भाजपा, शिंदे सेना व अजीत पवार गुट को एक-एक उपमुख्यमंत्री पद दिया जा सकता है.

* भाजपा को 25, शिंदे सेना को 10 व अजीत पवार गुट को 8 मंत्री पद मिलने की संभावना
अपने विधायकों की संख्या के अनुसार मंत्री पद मिलने हेतु हर चर्चा के समय भाजपा आग्रही रहेगी, यह स्पष्ट है. यदि यह आग्रह मान्य होता है, तो भाजपा को 25, शिंदे सेना को 10 व अजीत पवार गुट को 8 मंत्री पद मिल सकते है. हालांकि शिंदे सेना व अजीत पवार द्वारा इस फॉर्मूला को मान्य किये जाने को लेकर थोडा संदेह है, बल्कि इन दोनों घटक दलों द्वारा शिंदे सरकार वाले फॉर्मूले को ही कायम रखने का आग्रह किया जा सकता है. ऐसे में यदि मित्र दलों द्वारा भाजपा की ओर से रखे जाने वाले फॉर्मूले को मान्य नहीं किया गया, तो 7 विधायकों पर 1 मंत्री पद का एक नया फॉर्मूला सामने आ सकता है.

* कौन कौन सी संभावनाएं
एकनाथ शिंदे सरकार में सभी 29 मंत्री कैबिनेट मंत्री थे. जिसमें भाजपा को 10, शिंदे सेना को 10 व अजीत पवार गुट को 9 मंत्री पद मिले थे. इस बार भी तीनों दल सत्ता में रहेंगे. ऐसे में यदि तीनों दलों के बीच मंत्री पदों का समसमान बंटवारा होता है, तो प्रत्येक दल के हिस्से में साधारणत: 14 मंत्री पद आएंगे.
शिंदे सरकार मेें यद्यपि तीनों दलों को समसमान मंत्री पद दिये गये थे. परंतु इस बार वह फॉर्मूला नहीं रहेगा, ऐसा विश्वासनीय सूत्रों द्वारा बताया गया है. क्योंकि इस बार भाजपा के पास विधायकों की संख्या अधिक है. जिसमें से कई विधायक मंत्री बनने की इच्छा रखते थे. कतार में भी है.
वर्ष 2022 में जब शिंदे व फडणवीस की सरकार बनी थी. तब कुल 20 कैबिनेट मंत्री थे तथा भाजपाव शिंदे गुट ने 10-10 मंत्री पद अपने पास रखे थे. वहीं अजीत पवार के सरकार में शामिल होकर उपमुख्यमंत्री बनने पर मंत्रियों की संख्या 29 हो गई थी. क्योंकि अजीत पवार गुट वाली राकांपा को 9 मंत्री पद दिये गये थे.
राज्य में महायुति की सरकार बनने के बाद कई बार मंत्रिमंडल विस्तार की अफवाहें उठी थी, लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ. उस सरकार में केवल कैबिनेट मंत्री ही थे. परंतु इस बार कैबिनेट के साथ ही राज्यमंत्री भी रहेंगे और माना जा रहा है कि, राज्यमंत्रियों की संख्या 7 से 8 हो सकती है.

* भाजपा के लिए काफी चुनौतीपूर्ण
प्रत्येक राजनीतिक दल में अनुभवी व ज्येष्ठ नेता है, शिंदे सेना में आधा दर्जन इच्छूकों को विगत ढाई वर्ष वेटींग पर ही रहना पडा. जिनका दबाव इस बार एकनाथ शिंदे पर रहेंगा. इसमें से कुछ इच्छुकों को आचार संहिता से कुछ दिन पहले ही महामंडलों पर नियुक्त किया गया था.
अजीत पवार की पार्टी में भी कई दिग्गज नेता है. परंतु अजीत पवार गुट के हिस्से में आने वाले मंत्री पदों की संख्या काफी कम रहेगी. ऐसे में सभी इच्छुकों को संभालने और उनमें से कुछ लोगोें को मंत्रिमंडल में शामिल करने को लेकर राकांपा नेता अजीत पवार को काफी चुनौतियों का सामना करना पडेगा.
लगभग यहीं सिरदर्द भाजपा के सामने भी है. ऐसे में पूराने दिग्गजों को मौका दिया जाये, या फिर नये चेहरों को आगे किया जाये. यह सबसे बडा सवाल में यदि पूराने चेहरों को ही मौका दिया जाता है, तो 2 से 3 बार चुनकर विधानसभा पहुंचने वाले विधायक पूछ सकते है कि, उन्हें कब मौका मिलेगा. वहीं 6 से 7 टर्म पूरा करने वाले कुछ ऐसे भी विधायक है, जिन्हें आज तक मंत्री पद नहीं मिला है. वे भी इस बार खुद को मंत्री पद मिलने की इच्छा लिये हुए है. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि, महायुति में शामिल तीनों घटक दलों द्वारा मंत्री मंडल में अपने किन विधायकों को शामिल किया जाता है.

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