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30 लाख नौकरियों पर लटकती तलवार
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मदत के लिए शिखर संगठन की वित्त मंत्रालय से अपील
मुंबई/ दि.३० – कोरोना की पृष्ठभूमि पर लागू किये गए लॉकडाउन के समय में व्यवसाय ठप्प होेने से रिटेल क्षेत्र भारी संकट में घिर गया है. इस गंभीर संकट में पूरे 75 हजार रुपए कर्ज डूबने का भय निर्माण हुआ है. परिणाम स्वरुप रिटेलर्स को भारी आर्थिक संकटों का सामना करना पड सकता है. जिससे रिझर्व बैंक ऑफ इंडिया और सरकार ने इस क्षेत्र को राहत देनी चाहिए, इस तरह की मांग करने वाला निवेदन रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने वित्त मंत्रालय से भेजा है.
भारतीय बाजारपेठ में रिटेल क्षेत्र का कुल निवेश पूरे ढाई लाख करोड रुपए के करीब है. महत्वपूर्ण बात यह कि रिटेल क्षेत्र के बुडित कर्ज से इस क्षेत्र पर निर्भर रहने वाले 30 लाख नौकरियों पर गदा आने की संभावना भी संगठन ने व्यक्त की है. रिटेल क्षेत्र का बुडित कर्ज रोकने के लिए रिटेलर्स को व्यवसाय करने के लिए तत्काल अनुमति मिलनी चाहिए, इस कारण केंद्र सरकार ने हस्तक्षेप करना चाहिए, इस तरह की मांग रिटेलर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने वित्त मंत्रालय से की है.
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मॉल व शॉपिंग सेंटर बंद रहने का असर
कोरोना की दूसरी लहर ने कहर बरपने के बाद सभी राज्य में मॉल व शॉपिंग सेंटर बंद किये जा रहे है. जिससे रिटेलर्स कर्ज की खाई में धकेले जा रहे है. अधिकांश लोग आर्थिक संकट में आने का दावा संगठन ने किया है. साथ ही 30 लाख नौकरियां संकट में घिरी है और टेक्सटाईल क्षेत्र के 10 लाख कर्मचारियों का रोजगार छिने जाने का भय है. आरएआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी कुमार राजगोपालन ने कहा कि राज्य में डाले गए निर्बंध के चलते समूची खबरदारी बरती जा रही है. बावजूद इसके तकरीबन 80 प्रतिशत रिटेलर्स के दुकान बंद है. इससे उल्टा जो कुछ दुकानें शुरु है, उस ओर ग्राहक ही नहीं भटकतें. इस कारण इस क्षेत्र का व्यवहार ठप्प पडा है. कुल मिलाकर उत्पन्न झिरो रहते समय रिटेलर्स को कामगारों का वेतन बिजली बिल दुकान का किराया, ऐसे विविध खर्च करने ही पडते है. परिणाम स्वरुप सरकार ने तत्काल आर्थिक मदत नहीं की तो दूसरी लहर में रिटेल क्षेत्र पूरी तरह से चरमरा जाएगा.
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यह उपाय है जरूरी
– रिझर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी बैंकों को अब रहने वाले कर्ज पर और 30 प्रतिशत कर्ज उठाने के लिए रिटेलर्स को अनुमति देनी चाहिए, जिससे की कर्मचारियों के वेतन समेत रिटेलर्स को महत्वपूर्ण देना निभाते आयेगा.
– कोरोना लहर के बाद मॉल व शॉपिंग सेंटर शुरु होने पर तत्काल बडी कमाई होने की संभावना कम है. इसी कारण बैंक व्दारा दिये गए कर्ज पर ब्याजदर कटौती करने वाली एखाद योजना सरकार ने अमल में लानी चाहिए.
– केंद्र सरकार ने कर्ज व उसपर ब्याज भरने और छह महिनों की मुदत वृध्दि देनी चाहिए.