.मुंबई/दि.16– बिना मास्क घुमने वाले लोगों से वसूल किया गया दंड वापस करें, ऐसी मांग करते हुए हाइकोर्ट में एक जनहित याचिका दाखल की गई है. वहीं कानून के खिलाफ लॉकडाऊन का निर्बंध लादते हुए किये गए नुकसान की भरपाई के रुप में 5 करोड़ रुपए का दावा फिरोझ मिठबोरावाला ने इस याचिका से किया है.
राज्य सरकार ने 1 मार्च को घोषित किए अनलॉक की नई नियमावली के अनुसार जारी किए गए टीके की सख्ती को हाइकोर्ट में याचिकाकर्ताओं ने फिर से एक बार आव्हान दिया है. कुछ दिनों पूर्व मुंबई लोकल से यात्रा के लिए कोरोना प्रतिबंधक टीके के दोनों डोज लेना अनिवार्य होने के निर्णय को फिरोज मिठबोरावाला ने हाइकोर्ट में आव्हान दिया था. यह याचिका हल करने के लिए हाइकोर्ट ने राज्य सरकार की भूमिका पर कड़े ताशेरे खींचे है. उसी परिणाम का अनुसरण कर यह याचिका नये से प्रस्तुत की गई.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोरोना टीका लेना एवं मास्क लगाना अनिवार्य न होने की घोषणा करने बाद भी राज्य सरकार लोकल ट्रेन, सिनेमागृह, मॉल्स आदि स्थानों पर प्रवेश के लिए टीके के दोनों डोज लेना व लगातार मास्क परिधान करना आवश्यक कैसे कर सकती है. वहीं आयसीएमआर ने भी स्पष्ट किया है कि टीके के दोनों डोज लेने वाले व्यक्ति कोरोना का प्रसार नहीं करते. इस बात का कोई सबूत उपलब्ध नहीं है. जिसके चलते टीका लेने वाले व टीका न लेने वाले ऐसे नागरिकों का वर्गीकरण करना यह उनके मूलभूत अधिकार पर घात करने समान है.
* करीबन 120 करोड़ की दंड की रकम
बिना मास्क घुमने वालों से करीबन 120 करोड़ की दंडात्मक रकम जमा की गई है. यह रकम वसूल करने वाले मार्शल्स द्वारा उन्हें दिए गए 50 प्रतिशत कमिशत वापस करे. यह कानून के खिलाफ के निर्णय के कारण याचिकाकर्ताओं के मूलभूत एवं घटनात्मक अधिकारों का उल्लंघन किए जाने निमित्त उन्हें 5 करोड़ की नुकसान भरपाई दी जाने की मांग भी इस याचिका द्वारा की गई है.