महाराष्ट्रविदर्भ

पश्चिम महाराष्ट्र में 144 गांवों को चट्टानों का खतरा

सर्वाधिक संख्या कोल्हापुर जिले में

पुणे/दि.25- पश्चिम महाराष्ट्र के 4 जिलों के 144 गांव चट्टान इलाकों में है. पांच जिलों में 594 गांव बाढ प्रभावित क्षेत्र रहने की बात भूजल सर्वेक्षण और विकास यंत्रणा तथा भारती भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण से स्पष्ट हुई है.
पुणे, सातारा, सांगली, कोल्हापुर जिले में चट्टानों से घिरे गांव है. इसमें सर्वाधिक 76 गांव कोल्हापुर जिले में है तथा सोलापुर जिले में कोई भी चट्टानों के आसपास गांव न रहने की जानकारी विभागीय आयुक्तालय ने दी है. रायगढ जिले के ईशालवाडी की दुर्घटना के बाद चट्टानों से घिरे गांव का विषय गरमाया हुआ है. पश्चिम महाराष्ट्र के कोल्हापुर में सर्वाधिक 11 तहसीलों मे 76 गांव चट्टान इलाकों में है. साथ ही सातारा जिले में 41 गांव, पुणे जिले में 23 और सांगली में 4 गांव बडी चट्टानों के आसपास बसे हैं. चट्टानों के पास के केवल 11 गांव ने पुनर्वसन का प्रस्ताव भेजा है. उसे राज्य सरकार के पास भेजा गया है. इसमें से सातारा जिले के 7 खतरे वाले गांव का तत्काल पुनर्वसन किया गया है. प्रस्ताव प्रलंबित रहे गांव के नागरिकों का तत्काल स्थलांतर किए जाने की जानकारी विभागीय आयुक्त सौरभ राव ने दी. सर्वेक्षण के मुताबिक कृष्णा, वारणा, इंद्रायणी, कोयना, नीरा आदि प्रमुख निदयों समेत पूजनीय क्षेत्र के अनेक परिसर, छोटी-बडी नदियों के पास के 594 गांव बाढ प्रभावित है. अनेक स्थानों पर नदी किनारे अतिक्रमण हुआ है. नदियों का प्रवाह रोककर निर्माण कार्य अथवा विकास कार्य किए जाने की बात सर्वेक्षण में प्रकाश में आई है. इस कारण इन गांवों को बाढ का खतरा निर्माण हो गया है.

* चट्टान और बाढ प्रभावित गांव
जिला बाढ प्रभावित चट्टान से घिरे नदियां
पुणे 84 23 नीरा, कर्‍हा, मुथा, मुला, पवना, भामा, वेलू, घोड, मीना, इंद्रायणी
सातारा 172 41 कृष्णा, कोयना, तारली, उरमोडी, वेण्णा, नीरा
सांगली 104 04 कृष्णा, वारणा
कोल्हापुर 129 76 पंचगंगा, कृष्णा
सोलापुर 105 00 उजनी का लाभ क्षेत्र
कुल 594 144

 

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