महाराष्ट्र

आरटीआई का गलत इस्तेमाल करने वाले को अग्रिम जमानत नहीं

ब्लैकमेलिंग से जुडे मामले में प्रथम दृष्ट्या आरोपी के खिलाफ सबूत- हाईकोर्ट का प्रतिपादन

मुंबई/ दि.9 – मुंबई उच्च न्यायालय ने उगाही के कथित आरोप का सामना कर रहे आरटीआई (सूचना का अधिकार) कार्यकर्ता बिनू वर्गीस को अग्रिम जमानत देने से इनकार कर दिया है. उच्च न्यायालय ने कहा कि प्रकरण से जुड तथ्य वसूली व ब्लैकमेलिंग से जुडे इस मामले में प्रथम दृष्ट्या आरोपी की संलिप्तता के संकेत देते हैं. मामले की जांच भी आरोपी व्दारा सूचना के अधिकार कानून के प्रावधानों के दुरुपयोग को भी दर्शाती है. इसलिए आरोपी के जमानत आवेदन को खारिज किया जाता है.
आरोपी के खिलाफ ठाणे के नौपाडा पुलिस स्टेशन में भारतीय दंड संहिता की धारा 384, 385, 34 के तहत मामला दर्ज है. जिसके साथ आरोपी की 15 साल पुरानी पहचान होने का दावा किया गया है. इस मामले में गिरफ्तारी की आशंका को देखते हुए आरोपी ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दायर किया था.
न्यायमूर्ति नितीन सांब्रे के समक्ष जमानत आवेदन पर सुनवाई हुई. इस दौरान आरोपी की ओर से पैरवी कर रहे वकील ने कहा कि शिकायतकर्ता व आरोपी एक दूसरे के पुराने परिचित है. मेरे मुवक्किल ने शिकायतकर्ता से मित्रवत कर्ज मांगा था. जिसे शिकायतकर्ता ने गलत तरीके से समझकर उगाही मान लिया. इस मामले में क्लिंब से एफआईआर दर्ज कराई गई है. मेरे मुवक्किल ने ठाणे में कई बिल्डरों व सरकारी अधिकारियों की करतूतों व अवैध निर्माण का खुलासा किया है. इसलिए उसे मामले में फंसाया गया है. मामले से जुडे सह आरोपियों को इस मामले में राहत मिली है. इसलिए आरोपी को भी जमानत दी जाए. वहीं सरकारी वकील आरोपी त्रतुजा आंबेकर ने आरोपी की जमानत का विरोध किया.

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