सैनिटाइजर के कारण अस्पतालों में लग रही आग
नागपुर के अस्पतालों के फायर ऑडिट से निकला निष्कर्ष
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हाईकोर्ट में हुई याचिका दायर
मुंबई/दि.11 – अस्पतालों में छिड़काव किये जाने वाले सैनिटाइजर में अल्कोहल का अत्यधिक मात्रा में इस्तेमाल अस्पताल में आग लगने की वजह है. नागपुर में कोरोना का इलाज करने वाले 35 अस्पतालों व केंद्रों का फायर ऑडिट कर चुके फोरेंसिक जांच विशेषज्ञ नीलेश उकुन्दे ने इसे लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में याचिका दायर की है. याचिका में उकन्दे ने कहा कि यदि उनके व्दारा दिये गये व्यवहारिक सुझावों को अमल में लाया जाये तो अस्पताल में आग की घटनाओं से बचा जा सकता है. उकुन्दे ने कहा है कि नागपुर के विभागीय आयुक्त ने उन्हें नागपुर विभाग में स्थित अस्पतालों के फायर ऑडिट करने के लिए नियुक्त किया था. इसके बाद उनके व्दारा आग रोकने को लेकर दिये गये सुझावों को स्टैण्डर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) में शामिल किया गया था.
हाईकोर्ट ने पिछले दिनों कोरोना के उपचार में कुप्रबंधन को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान मुंबई व उससे सटे इलाकों में स्थित अस्पतालों में आग लगने की घटना को लेकर चिंता जाहीर की थी. सरकार को सभी अस्पतालों के फायर ऑडिट करने का निर्देश दिया था. इस दौरान कोर्ट ने कहा था कि अस्पताल लाक्षागृह न बन जाये. उकुन्दे इस याचिका में हस्तक्षेप करना चाहते हैं. उनकी याचिका पर 12 मई 2021 को सुनवाई हो सकती है.
याचिका में दावा किया गया है कि सैनिटाइजर के जरुरत से ज्यादा छिड़काव से अल्कोहल की परत छत पर जम जाती है. आईसीयू वार्ड में तो हवा के आर पार होने की भी व्यवस्था नहीं होती है. क्यंकि वहां मोटे मोटे परदे लगे होते हैं. ऐसे में यदि मामूली सा भी शार्ट सर्किट होता है तो छत पर जमी अल्कोहल के चलते चिंगारी भी बड़ी आग में परिवर्तित हो जाती है.इसलिए जरुरी है कि नियमित अंतराल पर शकसन पम्प व वैक्यूम क्लीनर से छत पर जमी सैनिटाइजर व अल्कोहल की परत को हटाने की व्यवस्था की जाये ताकि आग जैसे हादसे रोके जा सकें. इसके अलावा जहां आईसीयू वार्ड में क्रॉस वेंटिलेशन नहीं है वहां से पर्दे हटाये जाये.