महीनेभर पूर्व शुरु हुई स्कूलों को पाठ्यपुस्तकों की प्रतीक्षा
कई जिलों के विद्यार्थियों की पुस्तक के बगैर पढ़ाई
मुंबई/ दि. 19– स्कूल शुरु होते ही कोरी पुस्तकें, नयी कक्षाओं की नई पुस्तकों का अप्रूप आदि सभी बातें राज्य के अनेक भागों के विद्यार्थियों के लिए इस बार मानो भूल गए हैं. राज्य की शालाओं शुरु होककर महीना बीत गया. बावजूद इसके अब तक संपूर्ण पाठ्य पुस्तकें अब तक नहीं मिली है. संख्या से कम पाठ्यपुस्तकें मिलने के कारण शिक्षकों को गत वर्ष की पाठ्यपुस्तकें जमा कर विद्यार्थियों को देनी पड़ रही है.
समग्र शिक्षण अभियान अंतर्गत शासकीय शालाओं के विद्यार्थियों को पाठ्य पुस्तकें निःशुल्क दी जाती है. उनकी छपाई का खर्च शासन द्वारा बालभारती को दिया जाता है. विदर्भ के जिले के अलावा अन्य जिलों की शालाएं 15 जून से शुरु हो गई है. स्कूल के पहले दिन पुस्तकें देने की घोषणा की गई थी. इसके लिए स्कूल शुरु होने से पूर्व पुस्तकों की मांग दर्ज करने के निर्देश भी बालभारती ने शालाओं को दिये थे. लेकिन शालाओं को पाठ्यपुस्तकें मिली होगी फिर भी अब तक वह मांग के अनुसार या पटसंख्या इतनी मिली नहीं. विद्यार्थी संख्या की तुलना में आधी पाठ्यपुस्तकें मिलने की जानकारी शिक्षकों द्वारा दी गई, जिसे हल करने के लिए शिक्षकों ने गत वर्ष की पुरानी पाठ्यपुस्तकें विद्यार्थियों को दी है.
कक्षा दूसरी के विद्यार्थियों की संख्या 60 है. लेकिन पुस्तकें 10 मिली है. यह जानकारी पुणे जिले के एक शिक्षक ने दी. 37 पटसंख्या वाली कक्षा के लिए 17 पुस्तकें मिली है. यह जानकारी नगर के एक शिक्षक ने दी. पहली के लिए इस बार से एकात्मिक पाठ्यपुस्तकें है. इस रचना के अनुसार शैक्षणिक वर्ष के पहले तीन महीने के लिए एक पुस्तक है. इसमें का एक महीना पुस्तक के बगैर ही गया. पुस्तकों का दर्जा गत अनेक वर्षों से कम हुआ है. जिसके चलते कई बार पुस्तकें एक वर्ष मेें ही जीर्ण हो जाती है. उस पर बस्ते का बोझ कम करने के लिए स्कूल में एक संच एवं विद्यार्थियों के घर में एक संच ऐसी रचना अनेक शालाएं करती है. मात्र, शिक्षकों का कहना है कि नई पुस्तकें नहीं मिलने से विद्यार्थियों के लिए दो संच उपलब्ध नहीं करवाये जा सकते.