महाराष्ट्र

राज्य में जेलों की सुरक्षा खतरे में!

पांच हजार सुरक्षा रक्षकों की जरूरत

* नये सीएम शिंदे को देना होगा ध्यान
मुंबई/दि.8– राज्य की करीब 60 जेलों में इस समय 43 हजार कैदी है और इन जेलोें की सुरक्षा का जिम्मा केवल 4 हजार 200 जेल रक्षकों पर है. इससे पहले अमरावती सहित नागपुर में घटित हुई ‘जेल ब्रेक’ की घटनाओं के चलते कारागारों की सुरक्षा को लेकर चर्चा चल पडी है. चूंकि राज्य में हाल ही में सत्ता परिवर्तन हुआ है. ऐसे में नये मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा इस समस्या की ओर गंभीरतापूर्वक ध्यान दिया जाये, ऐसा इस क्षेत्र के विशेषज्ञों का मानना है.
बता दें कि, राज्य के कारागारों में इस समय क्षमता से दोगुना अधिक कैदी बंद है. राज्य की 60 जेलों में कुल 27 हजार 700 कैदियों को रखने की व्यवस्था है. लेकिन इन जेलोें में 43 हजार 46 कैदी इस समय रखे गये है. इन सभी जेलों में सुरक्षा के लिए राज्य कारागार प्रशासन के पास केवल 6 हजार कर्मचारियों की नियुक्ती का प्रावधान है, लेकिन इसमें से केवल 4 हजार 800 पद ही भरे गये है और 1 हजार 200 पद रिक्त पडे है. जेलों में सुरक्षा रक्षकों की कमी रहने के चलते ही कुछ वर्ष पूर्व नागपुर में ‘जेल ब्रेक’ की घटना घटित हुई थी और हाल ही में अमरावती में भी ‘जेल ब्रेक’ की घटना घटित हुई है. इसके अलावा दो माह पूर्व नागपुर मध्यवर्ती कारागार में एक कैदी ने जेल अधिकारी पर प्राणघातक हमला किया था. ऐसी घटनाओं को टालने हेतु पुणे की येरवडा जेल के अधिकारियों ने सुरक्षा रक्षकों की संख्या बढाने का प्रस्ताव गृह मंत्रालय को भेजा था, लेकिन अब तक इस पर कोई ठोस निर्णय नहीं हुआ है.
* स्ट्राईकिंग फोर्स का प्रस्ताव भी धूल खा रहा
अमरावती, नागपुर, येरवडा, नासिक तथा मुंबई शहर की जेलों को राज्य की सर्वाधिक संवेदनशील जेले माना जाता है. चूंकि इन सभी जेलों में अलग-अलग टोलियोें के गुंडे व बदमाशों को सजा काटने हेतु रखा गया है. ऐसे में यदि जेल के भीतर गैंगवॉर वाली स्थिति बनती है, तो इस संघर्ष पर काबू पाना काफी मुश्किल हो सकता है. अत: ऐसी जेलों में 15 प्रशिक्षित जवानों का ‘स्ट्राईकिंग फोर्स’ तैनात रहना बेहद जरूरी है. कैदियों की संख्या और जेलों की स्थिति को देखते हुए जेलों में 5 हजार सुरक्षा रक्षकों की भी जरूरत है, लेकिन प्रस्ताव देने के बाद भी गृह मंत्रालय ने इन पदों पर भरती को लेकर कोई फैसला नहीं लिया है.

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