महाराष्ट्र

गोरेवाड़ा अंतरराष्ट्रीय प्राणी उद्यान के विकास के लिए नई संस्था का चयन करें

मुख्यमंत्री ने दिए निर्देश, कहां यह भविष्य में पर्यटन के आकर्षण का केन्द्र बनेगा

मुंंबई/दि.6 – मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे ने कहा कि नागपुर के बालासाहब ठाकरे गोरेवाडा अंतरराष्ट्रीय प्राणी उद्यान का निजी भागीदारी के माध्यम से विकास के लिए नई संस्था का चयन करे. उन्होंने इस बारे में राज्य के मुख्य सचिव सीताराम कुंटे को कार्यवाही करने के निदेश दिए है.
सोमवार को मुख्यमंत्री ने गोरेवाडा अंतरराष्ट्रीय प्राणी उद्यान के कामों की प्रगति और वन विकास महामंडल के कार्यो की समीक्षा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के जरिए बैठक की. मुख्यमंत्री ने कहा कि गोरेवाडा अंतरराष्ट्रीय प्राणी उद्यान देश के मध्यभाग में मौजूद इस तरह की पहली परियोजना है. इस उद्यान के विकास के लिए बहुत गुजाइश है. यह भविष्य में पर्यटको के आकर्षण का बड़ा केन्द्र बन सकता है. इस द़ृष्टि से इसमें संशोधन कर पर्यटको को आकर्षित करने के लिए अलग-अलग चीजों का समावेश किया जाए. यह उद्यान देखकर लोगों को खुशी होनी चाहिए. उद्यान में हमेशा हरियाली होनी चाहिए. इसमें प्राणी, पक्षी, विभिन्न प्रजाति के पेड, सजावटी पेड़ और फूलों का समावेश होना चाहिए. उन्होंने कहा कि उद्यान के विकास कार्यो के लिए सरकार हर संभव मदद करेगी. इस बैठक में प्रदेश के वन राज्यमंत्री दत्रात्रय भरणे, राज्य के वन विभाग के प्रधान सचिव मिलिंद म्हैसकर, वन विकास महामंडल के प्रबंध निदेशक एन वासुदेवन आदि अधिकारी उपस्थित थे.

इको पार्क बनाया जाए

मुख्यमंत्री ने शहरी इलाकों में जमा होनेवाले कचरा क्षेत्र में महानगरपालिका और नगर पालिकाओं की आर्थिक सहायता से इको पार्क बनाने के निर्देश दिए है. उन्होंने कहा कि इको पार्क तैयार करने की योजना वन विकास महामंडल के माध्यम से लागू की जाए. मुख्यमंत्री ने इस संबंध में मुख्य सचिव को संबंधित विभाग के साथ बैठक बुलाने के निर्देश दिए है.

वृक्ष का प्रत्यारोपण करें

मुख्यमंत्री ने कहा कि अलग-अलग विकास कामों के लिए पेड़ों की कटाई के बजाय उसके प्रत्यारोपण करने की जरूरत हैे इसके लिए वन विकास महामंडल को नोडल एजेंसी के रूप में घोषित करने का सकारात्मक फैसला करें. बैठक में एमआईडीसी, आदिवासी विकास और खनिकर्म जैसे विभिन्न सरकारी विभागों की रिक्त जगहों पर वन विकास महामंडल के माध्यम से हरित पट्टा निर्माण करने, खेती महामंडल की बिना इस्तेमाल वाली जमीन वन विकास महामंडल को विभिन्न उद्योग और प्रकृति पर्यटन के लिए हस्तांतरित करने, वन विकास महामंडल के कर्मचारियों को सातवा वेतन अयोग की सिफारिश के अनुसार वेतन लागू करने, कन्हारगांव अभयारण्य के लिए जानेवाले क्षेत्र के बदले वनविकास महामंडल को 25 हजार हेक्टेयर उत्पादनक्षम वन जमीन देने समेत कई मुद्दों पर चर्चा हुई.

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