सेना व राकांपा साथ लडेंगे स्वायत्त निकायों के चुनाव
मुंबई/दि.19– राज्य में सरकार स्थापित करने हेतु गठित की गई महाविकास आघाडी की तर्ज पर सभी स्थानीय स्वायत्त निकायों के चुनाव में भी महाविकास आघाडी गठित होने का प्रयास इस समय चल रहा है. जिसके लिए शिवसेना व राष्ट्रवादी कांग्रेस में सहमति भी बन गई है और पूरी उम्मीद जताई जा रही है कि, सेना व राकांपा द्वारा मनपा, जिला परिषद व पंचायत समिती के आगामी चुनाव साथ मिलकर लडे जाये. उल्लेखनीय है कि, राज्य में भाजपा और मनसे के बीच दिखाई दे रही कथित सामंजस्यपूर्ण भूमिका को देखते हुए मुंबई सहित राज्य की सभी प्रमुख महानगरपालिकाओं और जिला परिषदों में भाजपा को रोकने के लिए तीनों पक्षों के एकसाथ आने की जरूरत महाविकास आघाडी में जताई जा रही है. इसके तहत स्थानीय स्तर पर जिस पार्टी की ताकत अधिक रहेगी, उसे आघाडी में शामिल अन्य दो दलों द्वारा सहायता करते हुए आघाडी को सफल बनाया जाये, ऐसा तीनों दलों के स्थानीय पदाधिकारियों द्वारा अपनी-अपनी पार्टी के व्यासपीठ पर कहा जा रहा है. वहीं इस प्रस्ताव को लेकर शिवसेना व राष्ट्रवादी कांग्रेस के बीच सहमति भी बनती दिखाई दे रही है. जिसके तहत बीते दिनों शिवसेना के एक बडे नेता ने कहा कि, चुनाव से पहले सेना व राकांपा द्वारा एकसाथ आकर चुनाव लडने में कोई हर्ज नहीं है. वहीं दूसरी ओर राकांपा नेत्री व सांसद सुप्रिया सुले ने बीते दिनों धुलिया में वक्तव्य देते हुए कहा था कि, मुंबई मनपा में शिवसेना की ही सत्ता आयेगी और सेना का ही महापौर बनेगा. इन दोनोें वक्तव्यों के मद्देनजर माना जा रहा है कि, सेना और राकांपा के बीच गठबंधन को लेकर बातचीत सकारात्मक तरीके से आगे बढ रही है. वहीं दूसरी ओर मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे द्वारा हिंदुत्व को लेकर आक्रमक भूमिका अपनाये जाने के बाद मनसे और भाजपा के बीच संभावित सामंजस्य को लेकर चर्चा शुरू हो गई है. जिसकी वजह से शिवसेना के समक्ष काफी बडी चुनौती निर्माण होने की पूरी संभावना है. ऐसी स्थिति में यदि मुंबई मनपा के चुनाव में शिवसेना को राष्ट्रवादी कांग्रेस का साथ मिलता है, तो फिलहाल शिवसेना के कब्जे में रहनेवाले 97 प्रभागों के अलावा अन्य 50 प्रभागों में शिवसेना द्वारा अपनी ताकत लगायी जा सकती है. साथ ही सेना का साथ मिलने पर राष्ट्रवादी कांग्रेस भी पहली बार मुंबई मनपा के लिए अपनी पूरी ताकत लगा सकती है. ऐसे में दोनों दलों के स्थानीय कार्यकर्ताओं के जरिये पिछली बार दूसरे व तीसरे स्थान पर रहनेवाले पार्टी प्रत्याशियों को मिले वोट और इस बार दावेदारी को लेकर स्थिति की समीक्षा करने का काम शुरू किया गया है. इसके तहत मराठी व गैर मराठी भाषिक प्रभागों में राकांपा को जगह देते समय कुछ महत्वपूर्ण स्थानों पर शिवसेना को राष्ट्रवादी का साथ मिलेगा. वहीं भाजपा का प्रभाव क्षेत्र रहनेवाले प्रभागों में दोनों पक्षों द्वारा अपने संयुक्त उम्मीदवार को ताकत देने का विचार किया जा रहा है. जिसके तहत कम से कम 50 नई सीटों को अपने कब्जे में लेने की रणनीति पर काम किया जा रहा है.