मुंबई/दि.२ – बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay high court) ने कहा कि राज्य सरकार निजी अस्पतालों की मनमानी, वसूली पर लगाम लगाने के लिए सेवानिवृत्ति न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक आयोग गठित करने पर विचार करें. इस आयोग में विभिन्न क्षेत्रों के विशेषज्ञ डॉक्टरों को शामिल किया जाए. हाईकोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल में भी निजी अस्पतालों से जुड़े मामले को देखने के लिए इस तरह की व्यवस्था बनाई गई. इसलिए राज्य सरकार भी पश्चिम बंगाल की तर्ज पर आयोग के गठन के बारे में विचार करें. क्योंकि निजी अस्पतालों में शिकंजा कसने के लिए सिर्फ प्रशासकीय अधिकारियों के प्रयास पर्याप्त नहीं दिख रहे है. मुख्य न्यायाधीश दीपाकर दत्ता व न्यायमूर्ति गिरीष कुलकर्णी की खंडपीठ ने यह सुझाव पेशे से वकील अभिजीत मांगड़े की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान दिया. याचिका में दावा किया गया है कि निजी अस्पताल पीपीईकिट, मास्क, ग्लब्स व दूसरे चीजों के नाम पर मरीजों से बिल में मनमानी पैसा वसूल रहे है. मरीजों के उपचार के मनमानी बिल दिए जारहे है. सरकार इस मामले में अस्पतालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर रही है. जबकि मनमानी बिल वसूली पर कानून में अस्पताल का लाइसेंस रद्द करने का भी प्रावधान है. सुनवाई के दौरान राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकर्णी ने कहा कि सरकारी अस्पतालों की मनमानी पर शिंकजा कसने के लिए ठोस कदम उठाए हैे.