मुंबई/दि.19– मैने शिवसेना में 52 वर्ष तक काम किया. लेकिन कभी ऐसा सोचा नहीं था कि, मुझ पर सेना नेता पद से इस्तीफा देने की नौबत भी आयेगी और मेरे सार्वजनिक जीवन का संध्याकाल अंधकारमय हो जायेगा. लेकिन ऐसा हुआ है. इस आशय का प्रतिपादन करते हुए शिवसेना के वरिष्ठ नेता रामदास कदम ने साफ शब्दों में आरोप लगाया कि, राकांपा प्रमुख शरद पवार ने सोची समझी साजीश के तहत दांव खेलते हुए शिवसेना को दो हिस्सों में विभाजीत कर दिया है.
बता दें कि, रामदास कदम के बेटे व विधायक योगेश कदम खुले तौर पर शिंदे गुट में शामिल हुए है. वहीं विगत अनेक दिनों से रामदास कदम के भी नाराज रहने की चर्चा चल रही थी और अब कदम ने शिवसेना के पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे को अपना नेता पद से इस्तीफा सौंप दिया है. जिसे उध्दव ठाकरे के लिए काफी बडा झटका माना जा रहा है. पद से इस्तीफा देने के बाद रामदास कदम ने कहा कि, वे अपना त्यागपत्र सौंपकर बिल्कुल भी आनंदी नहीं है. बल्कि काफी पीडावाले दौर से गुजर रहे है. ऐसे समय खुद पार्टी नेतृत्व ने यह सोचना चाहिए कि, अपने जीवन के 52 साल पार्टी को देकर संघर्ष करनेवाले नेता पर इस्तीफा देने की नौबत क्यो आयी है. रामदास कदम ने यह भी बताया कि, उन्होंने पार्टी प्रमुख उध्दव ठाकरे को राकांपा के साथ हाथ नहीं मिलाने की सलाह दी थी. लेकिन उनकी इस सलाह को अनदेखा व अनसुना किया गया. शिवसेना प्रमुख बालासाहब
ठाकरे ने हिंदुत्व की विचारधारा पर आगे बढते हुए शिवसेना की स्थापना की. लेकिन आज बालासाहब की शिवसेना नहीं बची है. कदम ने यह भी कहा कि, उध्दव ठाकरे बेहद सीधे-साधे व भोले किस्म के व्यक्ति है और उन्हें शरद पवार के राजनीतिक दांवपेच समझ में ही नहीं आये. यदि उन्होंने समय रहते ध्यान दिया होता, तो एकनाथ शिंदे सहित 51 विधायकों पर पार्टी छोडने की नौबत ही नहीं आती. इस समय शिवसेना द्वारा अपने विधायकों व नेताओं को पार्टी से बाहर निकाला जा रहा है, लेकिन पार्टी नेतृत्व ने यह भी देखना चाहिए कि, अब खुद उनके पास पार्टी में कितने लोग बचे हुए है. कदम के मुताबिक महाराष्ट्र की अस्मिता और ‘मराठी माणुस’ के हितों को देखते हुए शिवसेना का अस्तित्व में बने रहना बेहद जरूरी है. लेकिन इसके लिए सबसे जरूरी यह है कि, शिवसेना में कट्टर व सच्चे शिवसैनिक भी रहे और पार्टी नेतृत्ववाले ऐसे शिवसैनिकों की ओर ध्यान भी दिया जाये.