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विदर्भ, मराठवाडा के किसान आत्महत्याओं के लिए शरद पवार जिम्मेदार

पुणे/ दि.14 – कई वर्ष तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री व केंद्रीय कृषिमंत्री सहित अन्य महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बावजूद शरद पवार ने विदर्भ व मराठवाडा के किसानों पर अन्याय किया. पवार व्दारा किये गए भेदभावपूर्ण व्यवहार की वजह से विदर्भ व मराठवाडा आज भी खेती किसानी के मामले में पिछडे हुए है और इन दोनों क्षेत्रों में होने वाली किसान आत्महत्याओं के लिए पूरी तरह से शरद पवार जिम्मेदार है, इस आशय का सनसनीखेज आरोप राज्यसभा सांसद डॉ. अनिल बोंडे व्दारा लगाया गया.
दौंड में भाजपा किसान मोर्चा व्दारा आयोजित कृषि महोत्सव में अपने विचार व्यक्त करते हुए सांसद अनिल बोंडे ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कृषि संबंधित नीतियों की प्रशंसा करने के साथ ही विपक्षी दलों, विशेषकर राकांपा नेता शरद पवार की जमकर आलोचना की. भाजपा किसान मोर्चा के राष्ट्रीय अध्यक्ष सांसद राजकुमार चहर की अध्यक्षता में आयोजित इस कृषि महोत्सव में आयोजक वासूदेव काले तथा पूर्व मंत्री राम शिंदे प्रमुख रुप से उपस्थित थे.
इस समय अपने संबोधन में सांसद डॉ. अनिल बोंडे ने कहा है कि, शरद पवार लंबे समय तक महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री रहे. साथ ही आगे चलकर केंद्रीय कृषिमंत्री भी बने. उनके समर्थकों व्दारा उन्हें जाणता राजा कहा जाता है. जाणता राजा व्दारा अपनी जनता को समान न्याय दिया जाता है. परंतु पवार ने विदर्भ व मराठवाडा को लेकर सिंचाई के बारे में हमेशा भेदभावपूर्ण भूमिका अपनाई और पश्चिम महाराष्ट्र की तुलना में इस क्षोत्र की ओर कोई ध्यान नहीं दिया गया. जिसकी वजह से विदर्भ और मराठवाडा खेती किसानी के मामले में पिछडे रह गए. जिसका दुष्परिणाम आज इन दोनों क्षेत्रों के किसान भुगत रहे है और यही वजह है कि, विदर्भ व मराठवाडा क्षेत्र में विगत लंबे समय से किसान आत्महत्याओं का सिलसिला चल रहा है. इसे रोकने में भी जाणता राजा कहे जाते शरद पवार केंद्रीय कृषिमंत्री रहते समय नाकाम साबित हुए. ऐसे में विदर्भ एवं मराठवाडा क्षेत्र में आज तक जितनी भी किसान आत्महत्या हुई है, उन सभी के लिए राकांपा नेता शरद पवार को जिम्मेदार कहा जा सकता है.
इस समय अपने संबोधन में सांसद अनिल बोंडे ने कहा कि, बारामती के अलावा शरद पवार ने राज्य के अन्य इलाकों के लिए कोई खास काम नहीं किया. साथ ही बारामती परिसर में भी स्थापित शक्कर कारखानों व सहकारी संस्थाओं में अपने परिवार का प्रभुत्व बनाकर रखा. ऐसे में शरद पवार ने अपनी राजनीति व खुद को प्राप्त सत्ता के जरिये केवल अपने लोगों का ही भला किया और उनका किसानों की भलाई से कभी कोई लेना देना नहीं रहा.

 

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