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महायुति में कम सीटें मिलने से हो सकता है शिंदे व अजीत पवार को खतरा

पार्टी से नाराज होकर सहयोगी छोड सकते है साथ

मुंबई/दि.9 – राज्य के सत्ता में रहने वाली महायुति में अब तक सीटों का मसला हल नहीं हुआ है. इस मामले को लेकर शुक्रवार की देर रात तक राजधानी दिल्ली में भी चर्चा हुई. लेकिन उसमें भी कोई समाधान नहीं निकला. ऐसे में महायुति के नेताओं की एक और बैठक आयोजित करते हुए सीटों के बंटवारे पर आम सहमति बनाने का प्रयास किया जाएगा. वहीं दूसरी ओर महायुति में शामिल शिवसेना नेता व सीएम एकनाथ शिंदे तथा राकांपा नेता व डेप्यूटी सीएम अजीत पवार को यह डर सता रहा है कि, यदि महायुति के तहत उनकी पार्टियों को बंटवारे में अपेक्षित सीटें नहीं मिलती है, तो इससे उनकी पार्टी में नाराजगी फैल सकती है तथा उनके कई सहयोगी उनका साथ छोडकर भी जा सकते है.
सूत्रों द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा सेना युति के तहत भाजपा ने 25 सीटों पर अपने प्रत्याशी खडे किये थे और सर्वाधिक 23 सीटों पर भाजपा को जीत मिली थी. ऐसे में इस बार भाजपा द्वारा सर्वाधिक 32 से 35 सीटों पर दावा किया जा रहा है और शेष सीटों पर एकनाथ शिंदे की शिवसेना व अजीत पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस को सीटें देने का प्रस्ताव रखा गया है. जानकारी के मुताबिक भाजपा ने इन दोनों दलों को केवल वहीं सीटे देने का निर्णय लिया है, जहां से इन दोनों दलों के उम्मीदवारों के चुनाव जीतने की संभावना है. वहीं शेष सभी सीटों पर भाजपा खुद चुनाव लडते हुए अधिक से अधिक सीटों पर जीत हासिल करना चाहती है. ताकि 48 में से 45 सीटों पर जीतने के लक्ष्य को पूरा किया जा सके.
राजनीतिक सूत्रों के मुताबिक यदि ऐसा होता है, तो दोनों राजनीतिक दलों में काफी हद तक नाराजगी फैल सकती है. जिसके चलते कई नेता व कार्यकर्ता एक बार फिर साथ छोडकर शरद पवार व उद्धव ठाकरे के पास वापिस जा सकते है, ऐसा डर एकनाथ शिंदे व अजीत पवार को सता रहा है. विशेष उल्लेखनीय है कि, भाजपा ने अपने मित्रदलों के कई उम्मीदवारों को भाजपा के चुनाव चिन्ह पर चुनाव लडने का अवसर देने का प्रस्ताव भी सामने रखा है. जिसकी वजह से भी शेष दोनों दलों के नेताओं व कार्यकर्ताओं में काफी हद तक असंतोष व्याप्त है, ऐसी जानकारी भी लगातार सामने आ रही है.

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