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तब शिंदे ने फडणवीस के विरुद्ध किया था बवाल

उद्धव ने मुश्किल से समझाया था

* विनायक राउत का खुलासा
मुंबई/दि.29 – युति सरकार के समय भाजपा की प्रताडना से आहत और उसके विरुद्ध आवाज उठाने वाले शिवसेना के मंत्री एकनाथ शिंदे ही थे. आज वे भाजपा के इतने नजदीक कैसे गये. यह ईडी के डायरेक्टर ही बता सकते है. इस प्रकार की तीखी टिप्पणी सेना सांसद विनायक राउत ने की. आज यहां मीडिया से बातचीत में राउत ने 2014 का राजकीय घटनाक्रम बताया. एकनाथ शिंदे के बारे में एक किस्सा भी सुनाया.
* शिंदे ही पीछे पडे थे
राउत ने दावा किया कि, उस समय एकनाथ शिंदे ने ही भाजपा का साथ छोडने का आग्रह किया था. कहा था कि, मैं उनके मंत्रिमंडल में नहीं रह सकता. एकनाथ शिंदे ने फडणवीस के विरुद्ध बडी हायतोबा मचाई थी. तब उद्धव ठाकरे ने शिंदे को समझाया-बुझाया. भाजपा कितना सताती है, यह बोलने वाले एकनाथ शिंदे ही थे. आज वे भाजपा के बडे करीब हो गये है, यह चमत्कार कैसे हुआ. इसका उत्तर प्रवर्तन निदेशालय के संचालक ही दे सकते है. विनायक राउत की इस टिप्पणी का शिंदे गुट क्या और किस प्रकार उत्तर देते है, यह देखने वाली बात होगी.
* शिंदे के विद्रोह पर शंका
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और भूतपूर्व सीएम अशोक चव्हाण ने भी कुछ ऐसा ही बयान दिया है. चव्हाण ने दावा किया कि, 2014 में ही शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा साथ आने की तैयारी कर रहे थे. शिवेसना की तरफ से कांग्रेस को प्रस्ताव आया था. यह प्रस्ताव लाने वाले शिष्टमंडल में एकनाथ शिंदे भी थे. शिंदे ने ही इस प्रस्ताव के बारे में शरद पवार से चर्चा करने का सुझाव दिया था. चव्हाण ने दावा किया कि, शिंदे ने कहा था कि, पवार राजी हो, तो हम भी तैयार है. चव्हाण के इस बयान से शिंदे के विद्रोह पर शंका उपस्थित की जा रही है. शिंदे गट की तरफ से बार-बार दावा किया जाता है कि, बालासाहब ठाकरे के हिंदूत्ववादी विचारों को उद्धव ठाकरे द्बारा दरकिनार करने से और कांग्रेस-राकांपा से गठजोड करने के कारण उन्होंने शिवसेना से अलग होने का निर्णय लिया था. अब सवाल उठाया जा रहा है कि, शिवसेना से अलग होने के शिंदे के कारणों मेें क्या सच्चाई है?
* गुलाबराव पाटील की सफाई
उधर गुलाबराव पाटील ने चव्हाण के बयान पर प्रतिक्रिया दी है. शिंदे गुट के पाटील ने कहा कि, अशोक चव्हाण के बयान में कोई अर्थ नहीं. क्योंकि पार्टी के नेताओं के कहने पर एकनाथ शिंदे गये भी होगे. सोनिया गांधी ने अशोक चव्हाण को शिवसेना के साथ जाने कहा, तो उन्हें भी जाना ही पडता है. यह वैसा ही मामला है.

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