मेरे कहने पर शिवसेना को मिला था मुंबई का महापौर पद
सीएम शिंदे ने बताया गुप्त रहस्य, ठाकरे गुट पर किया हल्लाबोल
कोल्हापुर दि.15 – जिस तरह से किसी तोते की जान पिंजरे में अटकी होती है, उसी तरह से शिवसेना के नेताओं की जान मुंबई महानगरपालिका में अटकी होती है. ऐसे में देवेंद्र फडणवीस ने बिना कोई आगा-पीछा सोचे मेरे एक शब्द पर मुंबई महानगरपालिका का महापौर पद शिवसेना को निर्विरोध दिया था. इस तरह से युती धर्म का पालन देवेंद्र फडणवीस से किया था, जो अपने आप में एक निष्कलंक व्यक्ति है. लेकिन उद्धव ठाकरे ने वर्ष 2019 में युती धर्म को कलंकित करने के साथ ही बालासाहब के नाम और विचारों पर भी कलंक लगाने का काम किया. इस आशय का प्रतिपादन करते हुए राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने शिवसेना उबाठा के पार्टी प्रमुख उद्धव ठाकरे पर जमकर हल्लाबोल किया.
गत रोज कोल्हापुर में शिवसेना पदाधिकारियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ ही सीएम एकनाथ शिंदे ने कहा कि, वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा व शिवसेना की युती नहीं हो पायी थी. क्योंकि हमारे अपने ही लोगों को आपस में एक-दूसरे पर विश्वास नहीं था. वहीं इसके बाद मुंबई मनपा के चुनाव पश्चात भाजपा का महापौर बनाने की तैयारी पूरी तरह हो चुकी थी. लेकिन उस समय खुद मैने देवेंद्र फडणवीस से कहा था कि, जिस तरह तोते की जान कहीं न कहीं अटकी रहती है, उसी तरह हमारे नेता की जान भी मुंबई महानगरपालिका में अटकी हुई है. अत: मुंबई मनपा का महापौर पद शिवसेना को दिए जाए. मेरे इस एक शब्द पर देवेंद्र फडणवीस ने मुंबई महानगरपालिका शिवसेना को दे दी और हमारा महापौर निर्विरोध चुना गया. लेकिन देवेंद्र फडणवीस ने इस बारे में आज तक कहीं पर भी कोई उल्लेख नहीं किया है. इसके साथ ही सीएम शिंदे ने यह भी बताया कि, वर्ष 2018 में देवेंद्र फडणवीस के मुख्यमंत्री रहते समय शिवसेना को उपमुख्यमंत्री मिल सकता था. ऐसी उस समय चर्चा भी चल रही थी. लेकिन उस समय एकनाथ शिंदे को उपमुख्यमंत्री बनाना पडता. इस वजह से चर्चा को नहीं ले जाया गया. इसके साथ ही युती को टिकाए रखने हेतु देवेंद्र फडणवीस ने हमेशा ही दो कदम पीछे लेने की तैयारी दर्शायी थी. लेकिन जैसे ही वर्ष 2019 के विधानसभा चुनाव के नतीजे सामने आए और यह स्पष्ट हो गया कि, शिवसेना के बिना भाजपा द्बारा सरकार नहीं बनाई जा सकती. वैसे ही ठाकरे गुट की ओर से बेसिर पैर के बयान दिए जाने लगे और देवेंद्र फडणवीस के फोन उठाना भी टाला जाने लगा. उस समय शिवसेना प्रमुख बालासाहब ठाकरे के विचारों को तिलांजलि देते हुए विरोधीदलों के साथ हाथ मिलाकर उद्धव ठाकरे ने शिवसेना के नाम व विचारों को कलंकित करने का काम किया था.