महाराष्ट्र

बहुत हुई महंगाई की मार… टैगलाइन अब नजर नहीं आती

शिवसेना ने ‘सामना’ के जरिए महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार को घेरा

मुंबई/दि.15 – शिवसेना ने आज अपने मुखपत्र सामना के संपादकीय में बढ़ते पेट्रोल, डीजल और गैस की कीमतों को लेकर केंद्र सरकार पर निशाना साधा है. संपादकीय में लिखा हैं कि महंगाई (Inflation) ने पिछली सरकार के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं और नई ऊंचाइयां छू रही हैं.
संपादकीय में अभिनेत्री कंगना रनौत का नाम बिना लिए एक बार फिर उन पर टिप्पणी की गई है. संपादकीय में लिखा गया है कि एक अभिनेत्री के अवैध निर्माण जैसे किसी भी व्यर्थ मुद्दे पर बेवजह छाती पीटते हुए हाय-तौबा मचाने वाले लोग अब भड़की हुई महंगाई जैसे जरूरी सवालों पर मुंह खोलने को तैयार नहीं हैं.

  • कोरोना से आहत लोगों के जख्मों पर नमक मल रही है सरकार

संपादकीय में आगे कहा गया है कि पहले ही कोरोना संकट की आग में जल रहे लोगों के जख्मों पर यह नमक मलने जैसा है. कोरोना जैसे संकट के समय में गैस सिलेंडर के दाम 25 रुपए और 84 रुपए बढ़ाने का मतलब साफ है कि सरकार ने संवेदना खो दी है. किसी दौर में गल्ली (सड़कों) से लेकर दिल्ली तक इसी महंगाई के मुद्दे पर गला बैठने तक नारेबाजी करने वाले, कैमरा के सामने आकर सरकार से सवाल पूछनेवाले तत्कालीन आंदोलनकारियों के दांत अब बैठ गए हैं.

  • बहुत हुई महंगाई की मार…

सत्ता में आने के लिए चुनाव प्रचार में इस्तेमाल किए गए ‘बहुत हुई महंगाई की मार…’ इस नारे की टैगलाइन अब कहीं भी नजर नहीं आती है. इसी नारे पर विश्वास करके महंगाई के खिलाफ लड़नेवाली पार्टी के रूप में देशवासियों ने बीजेपी को दिल्ली के तख्त पर बैठा दिया था. अब महंगाई का संकट हमेशा के लिए खत्म होगा, जेब में पैसे खनकेंगे, अच्छे दिन आएंगे, इस भ्रम के कारण देश के आम मध्यमवर्गीय, गरीब जनता ने बीजेपी को एकमुश्त मतदान किया था.

  • लगातार बढ़ रही है महंगाई

जनता ने केंद्र में बीजेपी की सरकार को लगातार दो बार बहुमत से जिताया. हालांकि सत्ता में आने के सात साल बाद भी केंद्र सरकार महंगाई के राक्षस को अभी तक मार नहीं पाई है. बल्कि महंगाई दिन-प्रतिदिन बढ़ती ही जा रही है. सरकार इस पर लगाम लगाने का कोई उपाय कर रही है, ऐसा दिख नहीं रहा है. महंगाई के दबाव में जल रहे अरबों गरीब लोग कैसे जिंदा रहेंगे? क्या सरकार के पास इसका जवाब है?

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