राजे लखुजीराव जाधव समाधी परिसर में शिव मंदिर
मंदिर या समाधी को लेकर तरह-तरह की चर्चा
सिंदखेड राजा/दि.21– राजे लखुजीराव जाधव के समाधी परिसर में रविवार को शिव मंदिर रहने का पता चला है. काफी शानदार नक्षीकाम रहे पत्थर की चौखट और गर्भगृह में बडा शिव पिंड मिलने से यह चर्चा का विषय हो गया है.
मातृतीर्थ सिंदखेड राजा यह एक ऐतिहासिक शहर है. यहां राजे लखुजीराव जाधव ने अनेक साल राज किया. वर्ष 1629 में उनकी दौलताबाद के देवगिरी किले में हत्या हुई. पश्चात उनका शहर के पश्चिम क्षेत्र में स्थित रामेश्वर मंदिर के पास की जगह पर अंतिम संस्कार किया गया. वर्ष 1630 में उनके समाधी मंदिर का निर्माण शुरु हुआ. जो बाद में 10 वर्ष तक चला. देश के हिंदू राजा की सबसे बडी पत्थरो की समाधी के रुप में इस वास्तू को देखा जाता है. पिछले कुछ दिनों से शहर के ऐतिहासिक इमारतो का जतन व संवर्धन का काम शुरु है. समाधी परिसर में भी केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण अंतर्गत खुदाई का काम पिछले कुछ दिनों से शुरु था. रविवार को इसी तरह का काम शुरु रहते यहां समाधी से सटकर 5 फूट गहरे व समाधी मंदिर से 20 फूट दूरी पर बडी शिव पिंड दिखाई दी. अधिक खुदाई करने पर शिव पिंड के बाजू में दर्शनी भाग में नक्षीकाम की चौखट भी दिखाई दी.
* शिव पिंड या समाधी बाबत संभ्रम
यह शिव मंदिर ही रहने का प्राथमिक अनुमान केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण दल द्वारा लगाया गया है. दूसरी तरफ समाधी परिसर में मिले यह अवशेष, शिव पिंड यह तत्कालीन राज घराणे के बडे व्यक्ति की समाधी रहने की संभावना कुछ जानकारो ने व्यक्त की है. राजे लखुजीराव जाधव की समाधी जहां है वहां भी पुरातन शिव पिंड दिखाई देती है. उसी परिसर में स्थित तत्कालीन महिला की समाधी में चुडिया पहनी महिला का सीधा हात दर्शाया गया है. इस कारण यह चिन्ह सती होनेवाली महिला के लिए चिन्हित किया हो सकता है, ऐसा अभ्यासको का कहना है. इस कारण रविवार को मिली शिव पिंड यह मंदिर है अथवा समाधी इस बाबत खुलासा होना आवश्यक है.
नागरिको की भीड
रविवार को इस बाबत शहर में जानकारी मिलते ही नागरिको ने मंदिर परिसर में अवशेष देखने के लिए भीड कर दी थी. केंद्रीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नागपुर के वरिष्ठ अधिकारी अरुण मलिक, श्याम बोरकर, शाहेद अख्तर, शुभम अर्जेरिया ने परिसर का जायजा किया.