पुणे/दि.10 – गत कुछ महीनों से स्थिर हुए खाद्य तेल के दाम में अंतर्राष्ट्रीय उठापटक के कारण आगामी कुछ दिनों में फिर से वृद्धि होने की संभावना है. रशिया युक्रेन की युद्धजन स्थिति, इंडोनेशिया, मलेशिया के तेल निर्यात पर का निर्बंध व दक्षिण अमेरिका का हवामान बदलने से यहां से आयात होने वाले पाम तेल, सूर्य फूल, सोयाबीन इन तेलों की आवक कम होने की संभावना है. जिसके चलते खाद्यतेल के दाम में वृद्धि होने की बात कही जा रही है.
भारत में प्रति वर्ष 250 लाख टन खाद्य तेल का इस्तेमाल किया जाता है. इसमें से 160 लाख टन खाद्य तेल विदेश से आयात किया जाता है. युक्रेन से सूर्य फूल केतेल का आयात किया जाता है. रशियाृ-युक्रेन की युद्ध जन्य स्थिति के कारण यहां से होने वाले सूर्य फूल तेल का आयात कम होने वाला है. इंडोनेशिया, मलेशिया में पाम तेल का उत्पादन कम होने से वहां की सरकार ने पाम तेल के निर्यांत पर निर्बंध लगाया है. ब्राजील, अर्जेन्टाइना देशों के हवामान के कारण सोयाबीन की उपज पर असर हुआ है. इन अंतर्राष्ट्रीय उठापटक का असर खाद्य तेलों के आयात पर होने के साथ ही फरवरी के बाद फिर से खाद्य तेल के दाम चरणबद्ध तरीके से बढ़ने की संभावना खाद्य तेल व्यापारियों ने व्यक्त की है. उत्तर के राज्यों में ठंड व अतिवृष्टि का फटका राई (मोेहरी) की उपज पर बैठा है. अर्जन्टाइना, ब्राजील, अमेरिका इन देशों में सोयाबीन तेल का उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है. यहां का हवामान बदलने से इस बार उपज कम है.
तेल के जहाज बंदरगाह में ही
भारत में पाम तेल का इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. मलेशिया, इंडोनेशिया से निर्यात होने वाला पाम तेल के पाम स्टेरीन का इस्तेमाल वनस्पती घी में किया जाता है. इन दोनों देशों में फिलहाल कोरोना के कारण कामगारों की कमी होने से पाम तेल का उत्पादन कम हुआ है. इसलिए वहां की सरकार ने निर्यात बंद किया है.
पाम तेल के 60 जहाज यहां के बंदर में है. इनमें से 15 जहाज भारत के हैं.
ठंड का फटका राई को
पंजाब, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, मध्यप्रदेश सहित उत्तर के अधिकांश राज्य में राई की उपज बड़े पैमाने पर की होती है. इस बार के मौसम में राई बड़े पैमाने पर बोई गई. उच्चांकी उत्पादन मिलने की संभावना होने पर कड़ाके की ठंड का फटका राई को बैठा है. जिसके चलते राई की गुणवत्ता पर भी असर होने की बात व्यापारियों ने कही.