* डिप्टी सीएम अजित पवार की मुुश्किलें बढने की संभावना
मुंबई/दि.9-महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक अर्थात शिखर बैंक घोटाला मामले में अब एसआईटी जांच की जाए, यह मांग करने वाली याचिका मुंबई हाईकोर्ट में दायर की गई है. जिसके कारण उपमुख्यमंत्री अजित पवार की दिक्कतें बढने की संभावना व्यक्त की जा रही है. शिखर बैंक का मामला अजित पवार का पीछा नहीं छोड रहा, ऐसा दिखाई दे रहा है.
इस दौरान यह याचिका दायर होने के बाद न्यायमूर्ति रेवती मोहिते- डेरे की अध्यक्षता में खंडपीठ ने भले ही इस याचिका पर सुनवाई देने इनकार किया, याचिकाकर्ता को दूसरे खंडपीठ से न्याय मांगने के निर्देश दिए है.
* क्या कहना है आर्थिक अपराध शाखा का?
मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा द्वारा दायर की गई क्लोजर रिपोर्ट के अनुसार बैंक के कामकाज का नाबार्ड ने साल 2007 से 2011 दौरान जांच की. बैंक ने उपलब्ध की रिपोर्ट पृष्ठभूमि पर जनवरी 2013 में बैंक के कामकाज की जांच शुरु की गई. जनवरी 2014 में सहकारिता आयुक्त को पेश की गई रिर्पोट में बैंक का नुकसान हुआ, ऐसा कहा गया था. कोर्ट ने क्लोजर रिपोर्ट स्वीकार नही की. जनवरी 2024 में यह क्लोजर रिपोर्ट दाखिल की गई, फिरभी अब तक मुंबई सत्र न्यायालय के विशेष कोर्ट ने रिपोर्ट स्वीकारी नहीं. इस क्लोजर रिपोर्ट को अण्णा हजारे, शालिनी पाटिल तथा अन्य शिकायतकर्ताओं ने विरोध करते हुए याचिका कोर्ट में दायर की थी. हालांकी मूल शिकायतकर्ता सुरेंद्र मोहन अरोरा के अलावा अन्य किसी का भी विरोध याचिका स्वीकारने इनकार किया था.
शिखर बैंक द्वारा सहकारी कारखाना, सूतगिरणी और राज्य की अन्य सहकारी संस्थाओं को हजारों करोड रुपए कर्ज दिया गया था. इसलिए घोटाला होने का आरोप हुआ है. सहकारिता आयुक्त ने शिखर बैंक की जांच करने के लिए पूर्व न्यायाधीश की विशेष अधिकारी के रूप में नियुक्ति भी की थी.
* 70 लोगों का प्राथमिक आरोप पत्र में नाम
शिखर बैंक के संचालक रहने वाले अजित पवार समेत अन्य 70 लोगों का प्राथमिक आरोपपत्र में नाम था. हाईकोर्ट के आदेश के बाद 2019 में यह मामला दर्ज किया गया था. शिखर बैंक की अनियमता के कारण 1 जनवरी 2007 से 31 दिसंबर 2017 तक बैंक का 25 हजार करोड का नुकसान हुआ, ऐसा आरोप पत्र में बताया है.