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… तो मैं यहीं पर फांसी लगा लूंगा

विधानसभा में फूटा विधायक रवि राणा का गुस्सा

मुंबई/दि.7– अमरावती के राजापेठ रेलवे उडानपुल पर जीजाऊ जन्मोत्सव का औचित्य साधते हुए शिवप्रेमियों द्वारा छत्रपति शिवाजी महाराज का पुतला स्थापित किया गया. जिसे मनपा आयुक्त व पुलिस आयुक्त द्वारा आपसी मिलीभगत करते हुए रात के अंधेरे में छेनी-हथौडी जैसे औजारों का प्रयोग करते हुए निकाला गया और उस पुतले को भंगार से भरे गोदाम में ले जाकर रखा गया. जिसकी वजह से शिवप्रेमियों की भावनाएं आहत हुई और संतप्त शिवप्रेमियों ने मनपा आयुक्त पर स्याही फेंकी. यह निश्चित रूप से निषेध करने लायक घटना है. किंतु उस समय मैं दिल्ली में रहने के बावजूद मुझ पर धारा 307 के तहत अपराध दर्ज किया गया. जिसके लिए सरकार के कुछ प्रमुख व जिम्मेदार लोगों ने प्रशासन और पुलिस पर दबाव डाला. साथ ही रात 1.30 बजे के दौरान उनके घर में 100 से 150 पुलिसवालों ने घुसकर उनके परिजनों को तकलीफ देने का काम किया. इसके अलावा पुलिसवालों पर यहां तक दबाव डाला गया कि, रवि राणा जहां कहीं दिखे, उन्हें गोली मार दो, इस बात के मेरे पास पूरे पुख्ता सबूत है और यदि मैं कुछ भी झूठ या गलत बोल रहा हूं, तो मुझे अभी इसी सदन में फांसी दे दी जाये. अन्यथा मैं खुद ही विधानसभा में फांसी लगा लेता हूं, इस आशय के संतापजनक शब्दों में विधायक रवि राणा ने आज विधानसभा में अपनी भावनाएं व्यक्त की.
बता दें कि, विगत 9 फरवरी को अमरावती के राजापेठ रेलवे अंडरपास में मनपा आयुक्त प्रवीण आष्टीकर पर स्याही फेंकने के साथ-साथ कथित तौर पर जानलेवा हमला किया गया था. इसके पश्चात विधायक रवि राणा सहित कुल 11 लोगों के खिलाफ धारा 307 व 353 जैसे संगीन धाराओं के तहत अपराध दर्ज किया गया था. इस पूरे मामले को लेकर आज विधानसभा में जमकर हंगामा मचा और विधानसभा के नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने सबसे पहले इस मामले को सदन में उठाते हुए कहा कि, लोकतांत्रिक मूल्यों पर चलनेवाले प्रगतिशिल महाराष्ट्र में किसी जनप्रतिनिधि के साथ ऐसा होना बिल्कुल भी ठीक नहीं है. अमरावती में जो कुछ भी हुआ, उसे लेकर घटना के वक्त दिल्ली में रहनेवाले विधायक को धारा 307 जैसी संगीन धारा के तहत नामजद करना समझ से परे है. यदि पुलिस इसी तरह से अनियंत्रित हो गई, तो राज्य में कानून को लेकर स्थिति बिगड सकती है. अत: जिन लोगों ने गलत व गैरकानूनी तरीके से विधायक रवि राणा पर धारा 307 लगाई, उन पर कार्रवाई होनी चाहिए. साथ ही विधायक रवि राणा को भी सदन में अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाना चाहिए. पश्चात विधानसभा अध्यक्ष की अनुमति से अपनी भावनाएं प्रकट करते हुए विधायक रवि राणा ने उपरोक्त प्रतिपादन करने के साथ-साथ स्पष्ट शब्दों में आरोप लगाया कि, उन्हें इस मामले में फंसाने हेतु खुद राज्य के मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे व गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटील ने अमरावती के निगमायुक्त व अमरावती की पुलिस आयुक्त को फोन पर निर्देश जारी किये थे. जिसके पूरे सबूत उनके पास है. खुद को पुलिस व प्रशासन की ज्यादतियों का शिकार बताते हुए विधायक रवि राणा यहां तक कह गये कि, अगर वे कुछ भी झूठ या गलत कह रहे है, तो उन्हें विधानसभा में ही फांसी दे दी जाये. या वे खुद ही विधानसभा में फांसी ले लेते है.
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* किसी कार्यकर्ता के कृत्य हेतु अजीतदादा जिम्मेदार होंगे क्या?
इससे पहले इस विषय को लेकर अपने विचार व्यक्त करते हुए नेता प्रतिपक्ष देवेंद्र फडणवीस ने कहा कि, यदि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के किसी कार्यकर्ता के हाथों कोई अपराध घटित हो जाता है, तो क्या उसके लिये उपमुख्यमंत्री अजीत पवार को राकांपा नेता होने के नाते जिम्मेदार माना जायेगा, अगर ऐसा नहीं होता है, तो पार्टी से वास्ता रखनेवाले कुछ लोगों के कृत्य हेतु विधायक रवि राणा को जिम्मेदार मानकर उन्हें धारा 307 के तहत क्यों और कैसे जिम्मेदार माना जा रहा है.
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* लॉ एन्ड ऑर्डर एडीजी से करवायेंगे मामले की जांच
इस समय विधायक रवि राणा सहित विपक्ष की ओर से लगाये गये आरोपों पर जवाब देते हुए गृह मंत्री दिलीप वलसे पाटील ने बडे ही शांत व संयत तरीके से कहा कि, वे खुद एक लंबे समय से विधानसभा का हिस्सा है और जनप्रतिनिधि होने के नाते विधायक रवि राणा की भावनाओं को समझ सकते है. किंतु इस पूरे मामले से मुख्यमंत्री उध्दव ठाकरे व उनका (वलसे पाटील) कोई लेना-देना नहीं है और उन्होंने मनपा आयुक्त या पुलिस आयुक्त को फोन करते हुए कोई दिशा-निर्देश नहीं दिये थे. अलबत्ता अमरावती शहर में बिगड रही स्थिति की जानकारी जरूर ली थी. वहीं अब चूंकि विधायक रवि राणा कह रहे है कि, वे उस दिन अमरावती में नहीं, बल्कि दिल्ली में थे, तो सरकार द्वारा इस बात की जांच करवायी जायेगी कि, आखिर उन्हें इस मामले में नामजद कैसे किया गया और इस मामले की जांच राज्य पुलिस के अतिरिक्त पुलिस महासंचालक (कानून व व्यवस्था) के जरिये करवायी जायेगी.

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