महाराष्ट्र

सोशल मीडिया साबित हो रहा प्रभावी प्रचार का सशक्त माध्यम

5.80 करोड लोगों ने देखा राहुल गांधी का यू-ट्यूब चैनल

* नरेंद्र मोदी के पास सर्वाधिक 2.29 करोड सबस्क्राइबर
* राजनीतिक दलों के बीच सोशल मीडिया को लेकर भी जबर्दस्त रस्साकशीं
मुंबई/दि.26- देश के प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र में अब युवाओं के वोट ही सबसे अधिक निर्णायक साबित होने वाले है. जिसके चलते युवाओं के वोटों को अपनी ओर अधिक से अधिक खींचने हेतु प्रत्येक राजनीतिक दल व प्रत्याशियों के बीच जमकर उठापठक चल रही है. इन दिनों सोशल मीडिया के बिना युवा वर्ग का पत्ता भी नहीं हिलता. जिसके चलते राजनीतिक दलों व नेताओं द्वारा सोशल मीडिया के विविध माध्यमों के जरिए युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास किया जा रहा है. यदि इसके साथ ही अलग-अलग राजनीतिक दलों के समर्थकों द्वारा सोशल मीडिया पर दिखाये जाने वाले अति उत्साह की वजह से विवादों की चिंगारी भी भटकती है. जिसके चलते सोशल मीडिया का गलत उपयोग करने वाले लोगों पर अंकुश रखने हेतु पुलिस ने विशेष तौर पर सतर्कता बरतनी शुरु कर दी.

उल्लेखनीय है कि, वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से ही देश में सोशल मीडिया का प्रयोग बढने लगा और सोशल मीडिया पर होने वाले प्रचार के जरिए नवमतदाताओं को आकर्षित करने का जमकर प्रयास किया गया. जिसमें उस समय भाजपा सबसे आगे थी और भाजपा ने युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करते हुए चुनाव में शानदार जीत हासिल करने के साथ ही केंद्र की सत्ता भी प्राप्त की. वर्ष 2014 के चुनाव में सोशल मीडिया का महत्व अधोरेखित होने के चलते आगे चलकर सभी राजनीतिक दलों ने सोशल मीडिया का जमकर उपयोग करना शुरु किया. जिसके तहत सभी पार्टियों व राजनेताओं ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट संभालने के लिए स्वतंत्र व्यवस्था ही खडी कर दी. वहीं हाल फिलहाल के वर्षों के दौरान कार्यकर्ताओं ने भी सोशल मीडिया पर होने वाले प्रचार में सक्रिय हिस्सा लेना शुरु कर दिया. परंतु ऐसा करते समय कार्यकर्ताओं में अति उत्साह दिखाई देता है. जिसके चलते सोशल मीडिया पर एक-दूसरे की कमी और मीनमेख निकालने का काम होता है. जिसके चलते कई बार आपसी वाद-विवाद वाली स्थिति बन जाती है.

* यू-ट्यूब के दर्शकों को लेकर प्रतिस्पर्धा
हाल ही में 6 अप्रैल से 12 अप्रैल तक एक सप्ताह के दौरान राजनीतिक दलों व नेताओं के यू-ट्यूब चैनल देखने वाले दर्शकों की संख्या घोषित की गई. जिसके मुताबिक पहले स्थान पर रहने वाले राहुल गांधी के यू-ट्यूब चैनल को 5 करोड 80 लाख दर्शकों ने देखा. कुल दर्शकों में से करीब 33 फीसद दर्शकों द्वारा राहुल गांधी के यू-ट्यूब चैनल को देखा गया. राजनीतिक दलों व नेताओं के प्रथम 10 सर्वाधिक देखे गये चैनलों में राहुल गांधी का यू-ट्यूब चैनल पहले क्रमांक पर है. वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का यू-ट्यूब चैनल चौथे स्थान पर है. इस सूची में दूसरे स्थान पर आमआदमी पार्टी, तीसरे स्थान पर कांग्रेस तथा छटवें स्थान पर भाजपा का यू-ट्यूब चैनल है. वहीं दूसरी ओर सबस्क्राइबर के मामले मेें नरेंद्र मोदी का यू-ट्यूब चैनल सबसे आगे है. जिसके 2.39 करोड सबस्क्राइबर है. वहीं भाजपा के 58.40 लाख, राहुल गांधी के 45.70 लाख तथा कांग्रेस के 45.20 लाख सबस्क्राइबर है.

* भीषण गर्मी में सोशल मीडिया ‘प्रचार दूत’
लोकसभा चुनाव का विस्तार काफी बडा होता है तथा संसदीय क्षेत्र में प्रत्याशियों को अधिक से अधिक मतदाताओं तक पहुंचना होता है. वहीं दूसरी ओर इस समय भीषण गर्मी के साथ-साथ राजनीतिक वातावरण भी जमकर तपा हुआ है. जिसके चलते पूरे निर्वाचन क्षेत्र में घूमकर एक-एक मतदाता तक संपर्क करना काफी चुनौतिपूर्ण हो जाता है. ऐसे समय सोशल मीडिया ही उम्मीदवारों एवं उनके समर्थकों के लिए प्रहार दूत साबित होता है. क्योंकि सोशल मीडिया के चलते बिना धूप में घूमे एक ही स्थान पर बैठे-बैठे एक ही समय लाखों मतदाताओं तक पहुंचना संभव हो पाता है.

* पुलिस की सोशल मीडिया पर ई-पेट्रोलिंग
कई नेता व कार्यकर्ता सोशल मीडिया पर एक्टीव रहते है. जिनमें चुनाव के समय अलग ही जोश व उत्साह भरा होता है. चुनावी काल के दौरान हर तरह की राजनीतिक घटनाओं को लेकर कार्यकर्ताओं के बीच पोस्ट और कमेंट का मानो युद्ध ही छिडा होता है. कई वॉट्सएप ग्रुप पर दोनों ओर के कार्यकर्ता एक-दूसरे से भीड जाते है. साथ ही मार्फ फोटो, डीपफेक वीडियो व आपत्तिजनक पोस्ट सहित आदि सभी जानकारियों डालकर विवाद को बढाया जाता है. जिसे टालने के लिए पुलिस अब पूरी तरह से सतर्क हो गई है तथा साइबर पुलिस द्वारा सोशल मीडिया पर ई-पेट्रोलिंग की जा रही है.

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