नई ऊंचाई छुएगा सौर ऊर्जा उत्पादन
बिजली की लागत एक रुपए प्रति यूनिट होने की संभावना

* आईआईटी बॉम्बे ने इजाद की नई तकनीक
* दिसंबर 20275 तक बाजार में उतारने का लक्ष्य
नागपुर/दि.27-अब तक हम सोलर पैनल को इसी समाधान के रूप में जानते थे, लेकिन आईआईटी बॉम्बे ने नई सौर ऊर्जा तकनीक इजाद की है. नई तकनीक से सौर ऊर्जा उत्पादन नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगा. इस तकनीक से सिर्फ बिजली की मात्रा नहीं बढ़ेगी, बल्कि इसकी लागत में भी भारी कमी आएगी. जहां अब तक सौर बिजली की एक यूनिट की लागत 2.5 से 4 रुपए तक होती थी. वहीं, नई तकनीक बिजली की लागत 1 रुपए प्रति यूनिट होने की संभावना है.
देशभर में बिजली के बढ़ते बिल हर घर की चिंता का कारण हैं. गर्मियों में एसी, कूलर और फ्रिज तो सर्दियों में हीटर और गीजर से बिजली की खपत बढ़ जाती है. लेकिन अब नई तकनीक से सौर ऊर्जा उत्पादन नई ऊंचाई पर पहुंच जाएगा.
* नए किस्म के सोलर सेल
यहां के वैज्ञानिकों ने एक नए किस्म की सोलर सेल बनाए हैं, जिसे ‘टैंडम सोलर सेल’ कहा जाता है. यह पारंपरिक सोलर तकनीक की तुलना में 25-30 प्रतिशत अधिक बिजली बना सकते हैं. जहां अब तक के सोलर पैनल लगभग 20 प्रतिशत दक्षता के साथ बिजली बनाते थे, वहीं यह नई तकनीक 30 प्रतिशत दक्षता तक पहुंच चुकी है.
* क्या है इस तकनीक की खासियत ?
आईआईटी बॉम्बे के नेशनल सेंटर फॉर फोटावोल्टाइक रिसर्च एंड एजुकेशन के प्रोफेसर दिनेश काबरा और उनकी टीम ने इस तकनीक को विकसित किया है. इसमें दो परतों वाला सोलर सेल तैयार किया गया है. ऊपर की परत में ‘हेलाइड पेरोव्स्काइट’ नामक विशेष सामग्री होती है, जो कम रोशनी में भी बिजली पैदा कर सकती है और नीचे की परत में पारंपरिक सिलिकॉन होता है. दोनों मिलकर सौर ऊर्जा को बेहतर तरीके से बिजली में बदलते हैं.
* अब कच्चा माल भारत में उपलब्ध होगा
सबसे बड़ी बात यह है कि इस तकनीक में उपयोग होने वाला कच्चा माल अब भारत में ही उपलब्ध होगा. अभी तक भारत को चीन जैसे देशों से सोलर पैनल से जुड़ी सामग्री आयात करनी पड़ती थी, लेकिन नई तकनीक से आयात नहीं करना पड़ेगा. साथ ही, पहले पेरोव्स्काइट की कम टिकाऊ होने की समस्या को भी हल कर दिया गया है. अब यह 10 साल तक चलेगा.
* दिसंबर 20275 तक बाजार में उतारने का लक्ष्य
-इस तकनीक को व्यावसायिक रुप देने की जिम्मेदारी एआरटी-पीव्ही इंडिया प्राइवेट लिमिटेड व महाराष्ट्र सरकार ने ली है. दिसंबर 2027 तक इसे बाजार में उतारने का है लक्ष्य.
– इस नई तकनीक का इस्तेमाल सोलर फार्मों, घरों की छत, गाड़ियों की छत, और यहां तक कि इमारतों की दीवारों पर भी किया जा सकेगा. यानी कम जगह में ज्यादा बिजली और वह भी किफायती दाम पर.
– महाराष्ट्र सरकार और आईआईटी बॉम्बे इस तकनीक का इस्तेमाल ग्रीन हाइड्रोजन बनाने में भी करेगा, जो भविष्य में साफ और टिकाऊ ऊर्जा का बड़ा स्रोत साबित होगा.