* मुमुक्षु दीक्षित व मुमुक्षु तिर्थेश ने ली जैन भगवती दीक्षा
वाशिम/ दि.23 – आचार्य भगवंतो की अमृतमय वाणी में नवाकार महामंत्र के मंत्रोच्चार में साधू, साधवी, श्रावक, श्राविका के चतुरविधि संघ की मौजूदगी में साबरमती के जन्मदाताओं ने शिरपुर जैन की पवित्र मिट्टी में जिनशासन की सेवा में जैन भगवती दीक्षा देकर अपने दोनों सुपुत्र का दान किया. सैकडों भाविकों की उपस्थिति में आनंद व उत्साहमय उत्सवी माहोैल में यह दीक्षा महोत्सव समारोह लिया गया. मूल राजस्थान निवासी व फिलहाल गुजरात के साबरमती अहमदाबाद निवासी सुरेशकुमार अंबालाल कास्वा चौहान व पारुल बेन सुरेशकुमार कास्वा चौहान परिवार के मुमुक्षु दीक्षित कुमार व मुमुक्षु तिर्थेस कुमार ने बचपन से माता-पिता व्दारा सभी सुख, सुविधा, प्रेम, स्नेह, आत्मियता का उपयोग लेते हुए सुंसार रुपी भौतिक सुखों का पूरी तरह से त्याग कर 13 व 15 वर्ष की उम्र में जन्मदाताओं की अनुमति से जैन भगवती दीक्षा अंगीकार कर जिनशासन की सेवा में भावी जीवन बाल ब्रह्मचारी के रुप में जीने का फैसला किया. सांसारिक मोह माया का त्याग कर दीक्षा का इंतजार कर रहे दोनों भाईयों को आखिर दीक्षा प्रदान की गई.
इसके बाद मुमुक्षु दीक्षित कुमार का नाम मुनीश्री हितचिंतन विजयजी महाराज और मुमुक्षु तिर्थेस कुमार का नाम मुनीश्री तपोचिंतन विजयजी महाराज रखा गया. भविष्य में दोनों भाई नए नाम से पहचाने जाएंगे. इस समारोह में दिर्घदर्शी गंभीरमुर्ति प.पू.आचार्य भगवंत श्री हंसकिर्ती सुुरिश्वरजी महाराज, करुणा मंदिर जीवनशिल्पी प.पू.आचार्य भगवंत भव्यकिर्ती सुरिश्वरजी महाराज, प.पू.पंन्यास प्रवर परमहंस विजयजी महाराज, प.पू.देवर्षीजी महाराज तथा महासति राजरत्नाश्रीजी व महासति सौम्य प्रज्ञाश्रीजी सहित सति वृंदों की प्रमुख उपस्थिति रही.