कुटासा के सोनी परिवार ने भांजे की शादी में भरा सवा करोड़ का माहेरा
प्रेम और सामाजिक उत्तरदायित्व का अद्वितीय उदाहरण किया प्रस्तुत

धामणगांव रेलवे/दि.12-भारतीय संस्कृति में मामा-भांजे का रिश्ता सिर्फ खून का नहीं, आत्मा का रिश्ता माना गया है. विशेष रूप से माहेश्वरी समाज में माहेरे की परंपरा को देवी-देवताओं की कृपा और कुल परंपराओं से जोड़ा जाता है. ऐसी ही एक पवित्र बेला में, जब भांजे के विवाह अवसर पर मामा परिवार ने सव्वा करोड़ रुपये का माहेरा भरकर अपनी श्रद्धा, प्रेम और सामाजिक उत्तरदायित्व का अद्वितीय उदाहरण प्रस्तुत किया तो यह केवल एक रस्म नहीं रही, बल्कि वह क्षण बन गया जब धर्म, संस्कृति और आत्मीयता एक साथ प्रकट हुए. गौरतलब है कि स्थानीय गांधी चौक निवासी ललीत आसावा के सुपुत्री दक्षा का विवाह राजुरा निवासी जगदीश राठी के सुपुत्र कार्तिक के साथ बुधवार 7 मई को स्थानीय माहेश्वरी भवन में संपन्न हुआ.
इस विवाह समारोह में ननीहाल परिवार की ओर से अकोला जिले के ग्रामीण क्षेत्र कुटासा के सोनी परिवार ने सवा करोड़ का माहेरा भरा. अकोला जिले के 40-50 ग्रामीण क्षेत्र में स्व.हनुमानदासजी सोनी का दबदबा था. उन्हें उस इलाके के दानदाता के रूप में संबोधित किया जाता था. उनकी दूरगामी सोच,निर्णय क्षमता और परहित की भावना ने आज भी उनकी मृत्यु के 40 वर्ष पश्चात भी लोगों के जहन में उन्हें जीवित रख अपने ग्राम के सरपंच होने के साथ साथ उन्होंने गाँव मे सड़क लेन का कार्य किया. बिजली और पानी की कमी को उन्होंने अपनी अदम्य इच्छाशक्ति से पूरा किया. गांव में पानी लाने के कारण वो भागीरथी कहलाये. ग्रामीणों के शहर आने जाने वालों को होने वाली असुविधा को समझते हुए उन्होंने बस की सुविधा उपलब्ध करवाई. कई भूमिहीन ग्रामीणों को उन्होंने खेती की जमीन दान कर उन्हें जीवन दान दिया. उनकी मृत्यु उपरांत कुटासा, अकोला, सूरत निवासी उनके पुत्रों ने उनकी परम्परा को कायम रखने का प्रयास किया जिसमें अपने सामाजिक जिम्मेदारी को पूर्ण करने के साथ साथ आज अपनी पारिवारिक जिम्मेदारी को पूरा करते हुए ऐतिहासिक कार्य किया. कुटासा निवासी स्व.हनुमानदासजी सोनी के ज्येष्ठ सुपुत्र प्रकाशचंद सोनी ने अपनी कन्या राजूरवाड़ी निवासी मेघा जगदीश राठी के सुपुत्र कार्तिक के विवाहोत्सव में माहेरे की रस्म पर 5 एकड़ खेत की जमीन, नगद राशी व अन्य उपहार प्रदान कर लगभग सवा करोड़ का माहेरा भर अपने परिवार का माता-पिता के द्वारा दिये गये संस्कारो के अधीन पारिवारिक संबंधों को प्रगाढ़ता प्रदान करने का प्रशंशनीय कार्य कर परिवार के नाम को यथावत रखने का प्रयास किया. पुत्री के भविष्य को सुरक्षित रखने के उनके इस कार्य की सर्वत्र चर्चा है. इस विवाह समारोह में माहेश्वरी समाज के वंशलेखक भीलवाड़ा (राजस्थान) निवासी कल्पेशकुमार उपस्थित थे.