डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए विशेषज्ञ प्रकोष्ठ
सरकार ने हाईकोर्ट से कहा- एक हफ्ते में दिया जाएगा अंतिम रुप, निराधार शिकायतों की करेगा जांच
मुंबई/दि.8 – मरीजों के रिश्तेदारों द्बारा पुलिस में की जाने वाली निराधार शिकायतों और प्राथमिकियों से चिकित्सकों को बचाने के लिए एक विशेषज्ञ प्रकोष्ठ गठित किया जा रहा है. इसमें चिकित्सा क्षेत्र के विशेषज्ञ, वरिष्ठ पुलिस अधिकारी और अन्य पक्षकार शामिल किए जाएंगे. विशेषज्ञ प्रकोष्ठ को अगले हफ्ते तक अंतिम रुप दे दिया जाएगा. महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय को यह जानकारी दी.
राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि ने मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी की पीठ को बताया कि, यह विशेषज्ञ प्रकोष्ठ अस्पतालों एवं चिकित्सकों के खिलाफ आने वाली चिकित्सीय लापरवाही की शिकायतों की जांच करेगा. शिकायत पहली नजर में यदि उचित पाई जाएगी और मामला दर्ज कराने लायक हुई तो संबंधित पुलिस थाना प्राथमिकी दर्ज करेगा.
उन्होंने बताया कि, चिकित्सकों की आमजनों के खिलाफ अस्पताल की संपत्ति की तोडफोड करने और हमला करने जैसी शिकायतों से भारतीय दंड संहिता के वर्तमान प्रावधानों के तहत निपटा जाएगा.
अदालत डॉ. राजीव जोशी की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों के खिलाफ हिंसा की घटनाओं को रोकने के लिए न्यायिक हस्तक्षेप की मांग की गई थी.
एमबीबीएस डिग्रीधारक आईपीएस अधिकारियों को शामिल करें
हाईकोर्ट की पीठ ने सरकार के वक्तव्य को स्वीकार किया और सुझाव दिया कि राज्य एमबीबीएस डिग्रीधारक आईपीएस अधिकारियों को प्रकोष्ठ में शामिल करने पर विचार करें. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि, पश्चिम बंगाल में भी इसी तरह की नौ सदस्यीय समिति है, जिसमें एमबीबीएस डिग्रीधारक आईपीएस अधिकारी हैं. बंगाल राज्य में चिकित्सकों के रक्षा संबंधी अलग कानून है. महाराष्ट्र सरकार को इससे प्रेरणा लेकर अपना कानून बनाना चाहिए या राज्य के वर्तमान कानूनों में संशोधन करना चाहिए.