* अधिकारियों की ‘मौन सहमति’ की आशंका
नागपुर/दि.6-एसटी महामंडल की बसेें आए दिन दुर्घटना का शिकार हो रही है. इसमें बडा कारण ओवर स्पीड भी है, जबकि इन बसों का स्पीड लॉक किया गया होता है. लगभग 50-60 किमी प्रति घंटे की स्पीड पर इन्हें लॉक कर दिया जाता है. सूत्रों की माने तो कुछ चालक जल्दी गंतव्य तक पहुंचाने के लिए बसों के स्पीड लॉक को खोल देते है. इसके बाद यही बसें 80 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से हाई-वे पर दौडती देखी जाती है. हाल ही में गोंदिया में हुई बस दुर्घटना को ओवरलोड व स्पीड से जोडा जा रहा है, लेकिन अहम सवाल यह कि ‘स्पीड गर्वनर’ लॉक रहने के बाद आखिर बस ओवर स्पीड कैसे होती है. नागपुर के गणेशपेठ बस स्टैंड पर इस तथ्य की जांच करने पर सामने आया कि कुछ चालक बसों के स्पीड लॉक से छेडछाड करते हुए स्पीड को बढा देते हैं, जिससे यह बसें निर्धारित स्पीड से अधिक तेज दौडती हैं. ओवरलोड के लिए तो जैसे कोई नियम ही नहीं है. यात्रियों से ठसाठस भरी बस जब ओवर स्पीड से दौडती है, तो हादसे की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता.
* इसलिए यह ‘कारगुजारी’
कहीं भी जाने के लिए निर्धारित समय की तुलना में स्पीड लॉक बसों को एक से डेढ घंटा ज्यादा लगता है. इस कारण यात्रियों व चालकों के बीच अक्सर विवाद की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. विवाद से बचने के लिए कई चालकों द्वारा इस तरह का काम किया जाता है.
* स्पीड ऐसे खोलते हैं
बताया गया कि, बस के नीचे स्पीड लॉक के लिए अस्थाई तौर पर एक नट को जाम किया जाता है. चालकों को इसका पता होता है, ऐसे में इस नट को खोलकर ये आगे बढा देते हैं, जिससे बसें 70-80 की रफ्तार से दौडने के लिए सक्षम हो जाती हैं.
* कोई कार्रवाई नहीं होती
एसटी महामंडल की बसों में ओवरलोडिंग के लिए जैसे कोई नियम ही नहीं है. संभवतः अधिकारियों की रजामंदी से चालक व वाहक बसों में निर्धारित क्षमता से दोगुना यात्रियों को बैठाकर गंतव्य की ओर लेकर जाते हैं. कोई कार्रवाई नहीं होती, इसलिए हौसले बुलंद हैं.
नई बसें एडवान्स टेक्नोलॉजी से लैस
पहले की बसों में ऐसा हो सकता था, जिस पर ध्यान भी रखा जाता था. वर्तमान में आई बसें एडवान्स टेक्नोलॉजी से लैस है. इनमें स्पीड को लेकर कोई छेडछाड नहीं हो सकती है.
-एस. गबने, प्रादेशिक व्यवस्थापक,
एसटी महामंडल