मुंबई/दि.9 – महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम (एसटी महामंडल) के कर्मचारियों की हडताल जारी रहेगी. सोमवार को राज्य सरकार की ओर से अवकाशकालीन न्यायमूर्ति एस. जे. काथावाला व न्यायमूर्ति एस. पी. तावडे की खंडपीठ के समक्ष सरकार की ओर से जारी शासनादेश की प्रति व बैठक में हुई चर्चा की जानकारी पेश की गई. जिस पर गौर करने के बाद यूनियन की ओर से पैरवी कर रहे वकीलों ने असहमति व्यक्त की. साथ ही सरकार के शासनादेश को नकार दिया और हडताल जारी रखने के अपने फैसले को कायम रखा.
इसे देखते हुए हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई 10 नवंबर तक के लिए स्थगित कर दी है. इससे पहले हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को महाराष्ट्र राज्य परिवहन निगम के कर्मचारियों की मांग से जुडे मुद्दे पर विचार करने के लिए उच्च स्तरीय कमेटी गठित करने को कहा है. साथ ही कर्मचारियों की मांग पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करने का निर्देश दिया है. हाईकोर्ट ने कहा कि सोमवार को ही कमेटी के गठन को लेकर शासनादेश जारी किया जाए और कमेटी की बैठक ली जाए.
हाईकोर्ट में एसटी महामंडल की ओर से कर्मचारियों की हडताल के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई जारी है. कर्मचारियों की मांग है कि एसटी कर्मचारियों के साथ राज्य सरकार के कर्मचारियों जैसा बर्ताव किया जाये. हडताल के चलते एसटी के बहुत से डिपो बंद है. जिससे आम लोगों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड रहा है. महाराष्ट्र राज्य परिवहन महामंडल के वकील ने कहा कि कर्मचारी सरकार की ओर से उठाए गए कदम से सहमत नहीं है. इसलिए अब खंडपीठ ने बुधवार को सुनवाई रखी है. वहीं कर्मचारियों के एक संगठन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता गुणरत्ने सदाव्रते ने कहा कि सरकार को कर्मचारियों की मांग को लेकर अध्यादेश जारी करना चाहिए.
वहीं खंडपीठ ने कमेटी में राज्य के मुख्य सचिव, वित्त विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव, परिवहन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव को शामिल करने को कहा है. परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक को कमेटी के समन्वयक के रूप में कार्य करने व जरूरी सहयोग प्रदान करने का निर्देश दिया है. परिवहन निगम के निदेशक की निर्णय लेने में कोई भूमिका नहीं होगी. खंडपीठ ने कमेटी गठन का निर्देश देते हुए कहा कि कमेटी कर्मचारियों के 28 यूनियन के प्रतिनिधियों से बात करें. इसके बाद कमेटी अपनी सिफारिशों को मुख्यमंत्री के सामने रखे. मुख्यमंत्री इन सिफारिशों पर विचार करने के बाद क्या मत व्यक्त करते है, इसकी जानकारी अदालत को अगली सुनवाई के दौरान दी जाए. खंडपीठ ने मामले से जुडी सारी प्रक्रिया को 12 सप्ताह के भीतर पूरा करने का निर्देश दिया है और कमेटी को हर 15 दिन में उसके कार्य में हुई प्रगती की सूचना अदालत को देने को कहा है.