* जरूरत के मुताबिक बढाई जाएगी संख्या
* ड्रोन का इस्तेमाल होगा लाभकारी
मुंबई/दि.29– राज्य को ड्रोन हब बनाने के लिए महाराष्ट्र मिशन ड्रोन को मंजूरी मिली है. महाराष्ट्र को ड्रोन हब बनाने के तहत राज्य सरकार ने भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान आईआईटी बॉम्बे द्वारा तैयार किए गए महाराष्ट्र ड्रोन को मंजूरी दे दी है. गुरुवार को राज्य के उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग ने इससे जुडा शासनादेश जारी किया, जिसके मुताबिक आईआईटी बॉम्बे के साथ क्षेत्रीय स्तर के इंजीनियरिंग कॉलेज, तकनीकी शिक्षा संस्थान और राज्य सरकार के विभिन्न विभाग मिलकर मिशन ड्रोन के लिए काम करेंगे. इसके लिए 25 सदस्यीय समिति गठित की है.
सरकार पांच वर्ष में इस पर 238 करोड 63 लाख 43 हजार रुपए खर्च करेगी. जरूरत के मुताबिक इस रकम को बढाया भी जा सकता है. मिशन ड्रोन के तहत राज्य में 12 जगहों पर जिलास्तरीय ड्रोन केंद्र और 6 जगहों पर विभागीय ड्रोन केंद्र बनाए जाएंगे. इसका मुख्यालय आईआईटी बॉम्बे में होगा. जरूरत के मुताबिक ड्रोन केंद्रों की संख्या बढाई जाएगी. आने वाले समय में कृषि और उद्योग समेत विभिन्न क्षेत्रों में ड्रोन की बढती उपयोगिता को देखते हुए राज्य सरकार ने महाराष्ट्र को ड्रोन हब के तौर पर विकसित करने का फैसला किया है. इससे जुडी नीति बनाने के लिए आईआईटी बॉम्बे और दूसरे उच्च व तकनीकी शिक्षा संस्थानों के साथ बैठक के बाद राज्य सरकार ने आईआईटी बॉम्बे को इसकी उपयोगिता और संभावनाओं की जुडी रुपरेखा तैयार करने का जिम्मा सौंपा था.
* 25 सदस्यीय समिति गठित
मिशन ड्रोन परियोजना को लागू करने के दौरान सामने आने वाली समस्याओं के निवारण के लिए राज्य के मुख्य सचिव की अध्यक्षता वाली 25 सदस्यीय समिति भी गठित की गई है. इस समिति में अध्यक्ष के साथ 23 सदस्य और एक सचिव सदस्य होंगे. समिति में विभिन्न विभागों के उच्च अधिकारियों के साथ राज्य के पुलिस महानिदेशक, आईआईटी बॉम्बे के डीन शोध व विकास भी शामिल होंगे. इसके अलावा समिति की बैठकों में जरूरत के मुताबिक ड्रोन तकनीक से जुडे विशेषज्ञों को विशेष तौर पर आमंत्रित किया जा सकता है. समिति को आवश्यकता नुसार खर्च बढाने का भी अधिकार होगा.
* ड्रोन का इस्तेमाल बेहद उपयोगी
आईआईटी बॉम्बे के डीन ने 26 अक्टूबर को राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी, जिसमें इस बात का उल्लेख था कि, ड्रोन का इस्तेमाल किस तहर कृषि, आपूर्ति, वितरण, आपदा प्रबंधन, यातायात नियंत्रण, सर्वेक्षण, सुरक्षा व्यवस्था, प्राकृतिक संसाधनों की व्यवस्था की दृष्टि से बेहद उपयोगी हो सकता है. खासकर खेतों की निगरानी, कीटनाशकों के छिडकाव, सिंचाई, नुकसाना का आकलन, दुर्गम इलाकों में दवाओं की आपूर्ति, दुर्घटना वाले इलाकों में पहुंचने, बाढ प्रभावित इलाकों का जायजा लेने व मदद पहुंचाने, जंगल में आग पर काबू पाने, विभिन्न परियोजना की निगरानी आदि में बेहद लाभकारी साबित हो सकता है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार ने इसके मंजूरी दी है.