अमरावतीमहाराष्ट्र

राज्य सरकार बंद करेगी ‘स्मार्ट कॉटन’ प्रकल्प

वर्ल्ड बैंक से मिलती है वित्तिय सहायता

* कपास की गुणवत्ता व मूल्य वृद्धि में महत्वपूर्ण हिस्सा
अमरावती /दि.29– राज्य सरकार ने बालासाहब ठाकरे कृषि व्यवसाय व ग्रामीण परिवर्तन प्रकल्प अंतर्गत सन 2020-21 में शुरु किए गए स्मार्ट कॉटन प्रकल्प को महज चार वर्ष के भीतर ही बंद करने का निर्णय लिया है. जबकि राज्य में कपास के उत्पादन, गुणवत्ता वर्धन, मूल्य वर्धन एवं किसानों की उपज वृद्धि के लिए इस प्रकल्प को शुरु रखना बेहद आवश्यक है.
कृषि विभाग के ‘आत्मा’ तथा कपास उत्पादक पणन महासंघ द्वारा संचालित किया जानेवाला यह प्रकल्प कपास के उत्पादन, गुणवत्ता वर्धन व कपास उत्पादकों की आय में वृद्धि करने के उद्देश्य से शुरु किया गया था. जिसके तहत किसानों के गुट तैयार कर उनके मार्फत ‘एक गांव, एक वाण’ का प्रयोग किया गया. इन किसान गुटों ने कपास को सीधे बाजार में बेचने की बजाए कपास की जिनिंग व प्रेसिंग कर रुई की गठाने व सरकी बेचने की शुरुआत की. इस प्रयोग की वजह से कपास को बाजारभाव की तुलना में ज्यादा दाम भी मिलने शुरु हुए थे.

* 50.18 करोड रुपयों का प्रावधान
सन 2020-21 से 2026-27 की कालावधि हेतु कपास मूल्य श्रृंखला विकास शाला प्रशिक्षण व विस्तार घटक अंतर्गत 28.98 करोड तथा प्रकल्प क्रियान्वयन कक्षा महाकॉट व प्रकल्प क्रियान्वयन हेतु 21.20 करोड रुपयों का प्रावधान किया गया था. राज्य के 1819 गांवों में 80 किसान गटों ने रुई की 9454 गठानों की निर्मिती की.

* इस प्रकल्प को बंद करने की बजाए इसमें किसानों का सहभाग बढाने हेतु कपास को प्रति एकड प्रोत्साहन निधि दी जानी चाहिए. कपास का उत्पादन बढाने हेतु इस प्रकल्प में सघन व अतिघन कपास की बुआई का अवलंब किया जाना चाहिए.
गोविंद वैराले
पूर्व महाव्यवस्थापक, कपास पणन महासंघ.

* विस्तारीकरण पर लगा ब्रेक
– यह प्रकल्प सन 2023-24 तक विदर्भ के अमरावती, अकोला, बुलढाणा, यवतमाल, वाशिम, नागपुर, वर्धा व चंद्रपुर, मराठवाडा के छत्रपति संभाजी नगर, जालना व बीड तथा खांदेश के जलगांव इन 12 जिलो में सफलतापूर्वक चलाया गया.
– परंतु सन 2024-25 में इस प्रकल्प का विस्तार करने की बजाए इसमें से 5 जिले कम कर दिए गए. जिसके चलते फिलहाल यह प्रकल्प अमरावती, अकोला, वर्धा, चंद्रपुर, छत्रपति संभाजी नगर, जालना व बीड इन 7 जिलो में ही चलाया जा रहा है.

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