महाराष्ट्र

राज्य मंत्रियों के पास महकमे अधिक, अधिकार नाममात्र

कुछ कैबिनेट मंत्रियों ने राज्य मंत्रियों को कोई अधिकार ही नहीं दिये

मुंबई /दि.8– इस समय राज्य में 6 राज्यमंत्री है और प्रत्येक राज्यमंत्री के पास 6-6 महकमें है. इसी बात का राज्यमंत्रियों को समाधान है. क्योंकि उन्हें कैबिनेट मंत्रियों द्वारा कोई अधिक अधिकार दिये ही नहीं गये है. जिसके चलते राज्यमंत्री पद केवल शोभा की वस्तु रहने की भावना राज्यमंत्रियों द्वारा व्यक्त की जा रही है.
ज्ञात रहे कि, राज्यमंत्रियों का भी सम्मान रह सके, ऐसी पद्धति से उन्हें अधिकार प्रदान करने का निर्देश मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा दिया गया था. साथ ही सीएम फडणवीस ने यह भी कहा था कि, यदि मंत्रियों द्वारा राज्यमंत्रियों को अधिकार नहीं दिया गया. तो वे खुद राज्यमंत्रियों को अधिकार देंगे. जिसके चलते कुछ कैबिनेट मंत्रियों ने राज्यमंत्रियों को कुछ अधिकार दिये जाने से संबंधित परिपत्रक जारी किये. लेकिन राज्यमंत्रियों को बेहद नाममात्र के अधिकार दिये जाने की बात स्पष्ट हुई है.
बता दें कि, इससे पहले राज्यमंत्री जिस संभाग से वास्ता रखते थे, उस संभाग के लिए उन्हें ज्यादा अधिकार दिये जाते थे. यदि उसी पद्धति पर इस बार भी अमल किया गया होता तो राज्यमंत्रियों को उनका निर्वाचन क्षेत्र जिस राजस्व संभाग में आता है. उन क्षेत्रों के लिए ज्यादा अधिकार मिले होते परंतु कुछ मंत्रियों ने अधिकार देने के मामले में ऐसी कंजूसी की है कि, राज्यमंत्रियों को जिस विषय का अधिकार दिया गया है. उससे संबंधित निर्णय लेने का अधिकार मंत्रियों ने अपने ही पास रखा है, ताकि प्रत्येक विषय की फाइल उनके ही पास आये.

* मुख्यमंत्री के पास होगी शिकायत
मुख्यमंत्री फडणवीस ने अपने पास रहने वाले विभागों के राज्यमंत्रियों को किसी भी अन्य कैबिनेट मंत्री की तुलना में ज्यादा अधिकार दिये है. परंतु कैबिनेट मंत्रियों द्वारा ऐसी उदारता दिखाने की तैयारी नहीं की गई है. जिसके चलते कुछ राज्यमंत्री अब इसे लेकर मुख्यमंत्री के पास शिकायत करने वाले है. ऐसी जानकारी सामने आयी है.

* इन विभागों में राज्यमंत्री नहीं
जलसंपदा, पशु संवर्धन, उत्पाद शुल्क, उद्योग, कौशल्य विकास, सूचना तंत्रज्ञान, सांस्कृतिक कार्य, वन, पर्यावरण, मस्त्य व्यवसाय, क्रीडा व ओबीसी कल्याण इन महकमों में कोई राज्यमंत्री नहीं है.

* नीतिगत प्रक्रिया में स्थान नहीं
नीतिगत निर्णय की कोई जानकारी राज्यमंत्रियों को नहीं दी जाती. जबकि फाइलों की यात्रा राज्यमंत्री से कैबिनेट मंत्री होते हुए मुख्यमंत्री तक भेजने की व्यवस्था करने पर निर्णयों की प्रक्रिया में राज्यमंत्रियों का भी स्थान रहेंगा. खास बात यह भी है कि, मौजूदा सरकार के सभी 6 राज्यमंत्री बेहद अध्ययनशील है और अपने-अपने विभाग के कामों में रुची लेकर काम भी कर रहे है. लेकिन उनके पास काम करने के लिए कोई विशेष अधिकार ही नहीं है.

* केवल वर्ग-3 व वर्ग-4 कर्मचारियों से संंबंधित अधिकार
आस्थापना के स्तर पर राज्यमंत्रियों को केवल वर्ग-3 व वर्ग-4 के कर्मचारियों से संबंधित अधिकार ही दिये गये है, यानि चपराशी, लिपिक व अवल लिपिक के तबादलों व पदोन्नति के मामले ही राज्यमंत्री के अख्तियार में है. इसके अलावा वर्ग-2 के अधिकारियों की विभागीय जांच का अधिकार राज्यमंत्रियों को देने की भूमिका कैबिनेट मंत्रियों द्वारा अपनाई गई है.

* इन 6 को बनाया गया है राज्यमंत्री
मौजूदा सरकार में आशीष जयस्वाल, योगेश कदम, पंकज भोयर, इंद्रनील नाईक, मेघना बोर्डीकर व माधुरी मिसाल इन 6 विधायकों को राज्यमंत्री नियुक्त किया गया है. यह सभी राज्यमंत्री जिस पार्टी से वास्ता रखते है. उन्हीं पार्टियों के कैबिनेट मंत्रियों ने ही उन्हें अधिकार देने के मामले में अपना हाथ रोक लिया है. वहीं दूसरी ओर खुद पर हो रहे अन्याय को लेकर कोई भी राज्यमंत्री खुले तौर पर कुछ भी कहने के लिए तैयार नहीं है.

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