महाराष्ट्र

राज्य के शालेय शिक्षा दर्जे में गिरावट

केंद्र की ‘परफॉर्मन्स ग्रेडिंग इंडेक्स’ रिपोर्ट

पुणे/दि.10- केंद्रिय शिक्षा मंत्री ने वर्ष 2021-22 की ‘परफॉर्मन्स ग्रेडिंग इंडेक्स 2.0’ रिपोर्ट घोषित की है. इसमें महाराष्ट्र के काम में गिरावट आई स्पष्ट होती है. वर्ष 2020-21 की रिपोर्ट में 2 श्रेणी में रहा महाराष्ट्र इस बात 7वीं श्रेणी में पहुंच गया है. देश के किसी भी राज्य को पहली 5वीं श्रेणी में स्थान मिला नहीं है.
‘परफॉर्मन्स ग्रेडिंग इंडेक्स’ रिपोर्ट में शालेय शिक्षा प्रणाली का मूल्यांकन किया जाता है. वर्ष 2021-22 के लिए मूल्यांकन मानक में कुछ बदलाव कर ‘परफॉर्मन्स ग्रेडिंग इंडेक्स 2.0’ ऐसा नामकरण किया गया. इसके मुताबिक कुल 73 मानको पर मूल्यांकन किया गया. यह मानक निष्पत्ति और प्रशासकीय व्यवस्थापन ऐसे दो गुटो में विभाजीत किया गया. पश्चात उसका छह क्षेत्रों में विभाजन किया गया. इसमें अध्ययन निष्पत्ति, मूलभूत सुविधा, प्रशासकीय प्रक्रिया, शिक्षक शिक्षण और प्रशिक्षण, समानता, उपलब्धता आदि का इसमें समावेश था. इस मूल्यांकन में अनुक्रमानुसार श्रेणी निश्चित की गई. इसके मुताबिक 941 से 1000 अंकोे के लिए पारंगत 881 से 940 अंक के लिए उत्कर्ष, 821 से 880 अंको के लिए अति उत्तम, 671 से 880 अंको के लिए उत्तम, 701 से 760 अंको के लिए प्रचेस्ट-1, 641 से 700 अंक के लिए प्रचेस्ट-2, 581 से 640 अंक के लिए प्रचेस्ट और 460 से 521 अंक के लिए आकांक्षी श्रेणी दी गई.
मूल्यांकन में महाराष्ट्र को 1000 में से 583.2 अंक मिलने से राज्य का समावेश प्रचेस्ट-3 श्रेणी में हुआ है. अध्ययन निष्पत्ति और गुणवत्ता में गिरावट हुई है. इस गुट मेें 240 में से केवल 65.8 अंको सहित राज्य ‘आकांक्षी-1’ श्रेणी में गया है. मूलभूत सुविधा गुट में 190 में से 73.4 अंको के साथ ‘प्रचेस्ट-3’ श्रेणी मिली है. शिक्षक शिक्षण और प्रशिक्षण गुट में 100 में से 73.6 अंको के साथ अति उत्तम श्रेणी प्राप्त की है. शिक्षण की उपलब्धता गुट में 80 में से 64.60 अंक तथा समानता गुट में 260 में से 233.4 अंक प्राप्त कर उत्कर्ष श्रेणी हासिल करते हुए अच्छा काम किया है. प्रचेस्ट-3 श्रेणी में महाराष्ट्र समेत गुजरात, केरल, दिल्ली, पुडुच्चेरी, तमिलनाडू आदि राज्य का समावेश है तथा पंजाब व चंदीगढ इन दो राज्यों ने प्रचेस्ट-2 श्रेणी में स्थान लिया है.

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