महाराष्ट्र

राज्य का ग्रामीण क्षेत्र टीकाकरण में पिछडा

20 जिलों में टीकाकरण का प्रमाण 60 फीसदी से भी कम

मुंबई/दि.19 – कोरोना प्रतिबंधात्मक टीकाकरण में राज्य का ग्रामीण क्षेत्र पिछडा है. राज्य के लगभग 20 जिलों में वैक्सीन के दोनो डोज लेने वाले नागरिकों का प्रमाण 60 फीसदी से भी कम है. कोरोना की तीसरी लहर तेजी से राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में बढ रही है. जिसमें विशेषज्ञों व्दारा टीकाकरण किए जाने की सलाह दी जा रही है. राज्य में कोरोना टीकाकरण पिछले साल 16 जनवरी से शुरु किया गया था. पहले चरण में स्वास्थ्य सेवकों तथा अतिआवश्यक सेवा देने वाले कर्मचारियों का टीकाकरण किया गया था. 1 मार्च 2021 से 60 वर्ष से अधिक व 45 वर्ष के मरीजों का टीकाकरण किया गया था. शुरु के कुछ महीनों में टीकाकरण अभियान को नागरिकों व्दारा प्रतिसाद दिया गया.
उस तुलना में वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी. 21 जून 2021 से पुन: टीकाकरण अभियान की स्वतंत्र रुप में शुरुआत की गई और 18 वर्ष से अधिक आयु वाले युवकों का टीकाकरण किया गया. आगस्त महीने से वैक्सीन बडे प्रमाण में उपलब्ध करवायी गई जिसमेें टीकाकरण में तेजी आयी. किंतु जैसे ही दूसरी लहर का प्रभाव कम होते ही अक्तूबर महीने से टीकाकरण मे कमी आयी. ओमिक्रॉन का प्रादुर्भाव बढते ही तीसरी लहर के चलते ही दिसंबर महीने से पुन: टीकाकरण को नागरिकों व्दारा प्रतिसाद दिया गया.
राज्य में टीकाकरण स्वतंत्र तौर पर किए जाने पर छह महीनों में वैक्सीन का पहला डोज लेने वालों का प्रमाण 90 फीसदी पर पहुंचा. किंतु दोनो ही डोज लेने वालो का प्रमाण मात्र 60 फीसदी ही रहा. वैक्सीन के दोनो डोज लेने वाले नागरिकों का प्रमाण राज्य के नंदूरबार व नांदेड जिले में सर्वाधिक कम 42 फीसदी रहा तथा नासिक, जालना, अमरावती, बुलढाणा, हिंगोली, उस्मानाबाद, यवतमाल व लातुर यहां प्रमाण 45 से 50 फीसदी रहा. उसी दौरान औरंगाबाद, बीड और अकोला यहां 45 फीसदी से भी टीकाकरण का प्रमाण कम रहा.

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